Farmers protest
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ऐसा क्यों हो रहा है कि आंदोलनकारी किसानों (Farmers protest) से आमने-सामने बात करने से सरकार कन्नी काट रही हैं? प्रधानमंत्री मोदी (Narendra modi) सिर्फ वर्चुअल संबोधन कर एकपक्षीय तौर पर ‘मन की बात’ (Mann ki baat) कहते हैं लेकिन 25 दिनों से जारी किसान आंदोलन के नेताओं से आमने-सामने बात नहीं करना चाहते. उन्होंने इतनी ज्वलंत समस्या भी मंत्रियों के भरोसे छोड़ दी हैं. दलील यह भी हो सकती है कि इससे गलत परंपरा पड़ेगी और कोई भी आंदोलनकारी सीधे प्रधानमंत्री से बात करना चाहेगा. यदि ऐसा है तो संबंधित विभागों के मंत्री आखिर किसलिए हैं? अबतक किसान नेताओं से कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर व केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बात की.

तोमर ने गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah) से इस आंदोलन के मामले में चर्चा की. पीएम के रवैये को देखते हुए किसानों के मन में संदेह बना हुआ है. किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की लगातार कोशिश जारी है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर किसान कानूनी गारंटी चाहते हैं. यह कहना पर्याप्त नहीं है कि एमएसपी पहले भी था, अभी भी है और आगे भी रहेगा. किसान नेताओं की इस मांग पर कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं, सरकार टस से मस होने को तैयार नहीं है. इसके अलावा किसान नेताओं को उकसानेवाली हरकतें भी हो रही हैं. केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया ने किसानों को ‘पागल सांड’ कह दिया. सरकार किसान आंदोलन के पीछे विपक्ष की साजिश बता रही हैं जबकि किसान आंदोलन का औचित्य समझकर उसे समर्थन देने के लिए विपक्षी पार्टियां आगे आई हैं. आंदोलनकारी मानते हैं कि कृषि कानूनों के जरिए सरकार कृषि मंडियों, फसलों के भंडारण, शीतगृह, परिवहन, प्रसंस्करण और खाद्यान्न बाजार में बड़े कारपोरेट व विदेशी कंपनियों को कानूनी तौर पर स्थापित कर देगी.

किसान नेताओं ने सरकार के इस दावे को गलत और भ्रामक बताया कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक फसलों का एमएसपी डेढ़ गुना कर दिया गया है. इन नेताओं ने कहा कि सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है वह डेढ़ गुना एमएसपी नहीं दे सकती. अ.भा. किसान समन्वय समिति ने पीएम मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर के किसानों की मांगों को हल करने के दावों पर कहा कि सरकार की किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और न वह समस्या के समाधान का इरादा रखती है. सरकार किसान आंदोलन पर निराधार व तथ्यहीन आरोप लगाती आ रही है. मामला अब और तूल पकड़ समता है क्योंकि अब सरकार को घेरने के लिए किसान फूड चेन रोकने की तैयारी में हैं.