निपट गई राहुल की यात्रा, बिछुड़ते चले गए उनके सहयात्री

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कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul gandhi) की मणिपुर से शुरू हुई न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) का मुंबई में समापन हो गया। मुंबई की रैली में राहुल के साथ मौजूद नेताओं के चेहरों से मालूम पड़ गया कि अब कौन-कौन विपक्ष के नेता इंडिया गठबंधन में बाकी रह गए हैं। रैली में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए।

राहुल भले ही घोषणा करें कि हिंदुस्तान हमारे साथ है लेकिन उन्होंने खुद महसूस किया कि उनके सहयात्री बिछुड़ते चले गए। नीतीश कुमार एनडीए में चले गए। बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बंगाल में अकेले ही सभी 28 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर ‘इंडिया’ गठबंधन को करारा झटका दिया। मुंबई की रैली में आप नेता व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। पंजाब में उनकी पार्टी ‘आप’ की ओर से कांग्रेस को कोई रियायत नहीं मिलेगी।

दिल्ली की 7 में से 4 लोकसभा सीट पर आप अपने प्रत्याशी उतारेगी। कुल मिलाकर इंडिया ब्लाक में कांग्रेस, डीएमके, सपा, राजद, शिवसेना (उद्धव), एनसीपी (शरद पवार), आप, लेफ्ट पार्टियां तथा मुस्लिम लीग रह गए हैं। इसके विपरीत एनडीए में बीजेपी, जदयू, शिवसेना (शिंदे गुट), एनसीपी (अजीत गुट), लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुट, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (सोनेलाल), राष्ट्रीय लोक मोर्चा, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा, सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी, टीडीपी, जनसेना पार्टी, अम्मा मक्कल कड़गम आदि शामिल हैं। कुछ पार्टियों की हालत ऐसी है कि न इधर के हैं, न उधर के। अकाली दल, एआईए डीएमके, वाईएसआर कांग्रेस ऐसी ही पार्टियां हैं।

बीजू जनता दल राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का साथ देता है लेकिन बदले में वह ओडिशा में अपनी सरकार कायम रखता है। इंडिया गठबंधन महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठाकर बीजेपी को चुनौती दे रहा है। चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को कांग्रेस लगातार घेर रही है। 2014 और 2019 के चुनाव में बुरी तरह हार चुकी कांग्रेस की लोकसभा में 2009 की तुलना में आधी भी सीटें नहीं हैं।

इंडिया गठबंधन में राहुल के नेतृत्व को आम स्वीकृति भी नहीं है। इसके विपरीत एनडीए पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी पर निर्भर है। मोदी की गारंटी के नाम पर जनादेश मांगा जा रहा है इतने पर भी बंगाल, बिहार और ओडिशा में बीजेपी कमजोर है। 3 हिंदी भाषी राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दूसरे स्थान पर है। इतिहास साक्षी है कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से अधिकांश पर जो पार्टी जीतती है, उसी की केंद्र में सरकार बनती है। कांग्रेस की केवल तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में सरकारें रह गई हैं।