लोकतंत्र में व्यक्ति पूजा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. यदि कोई पार्टी ऐसा प्रस्ताव पारित करती है कि वह किसी नेता को आजीवन अपना अध्यक्ष बनाए रखेगी तो ऐसी विचारधारा सर्वथा अलोकतांत्रिक है. लोकतंत्र तभी जीवित रहता है जब चुनाव हों अन्यथा वह निरंकुश राजतंत्र या तानाशाही में बदल कर रह जाएगा. वाईएसआर कांग्रेस ने न जाने क्या सोचकर आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को अपना आजीवन अध्यक्ष घोषित किया था. पार्टी के जुलाई में हुए अधिवेशन में इस आशय का निर्णय लिया गया था. वाईएसआर कांग्रेस के महासचिव सज्जाला रामकृष्ण रेड्डी के अनुसार पार्टी फरवरी 2022 में ही जगनमोहन रेड्डी को पार्टी का स्थायी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव लाई थी.
चुनाव आयोग की इस प्रस्ताव पर वक्र दृष्टि पड़ी. उसने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को पत्र लिखकर कहा कि जगन को स्थायी अध्यक्ष बनाने का फैसला अलोकतांत्रिक है. जब चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा तो उसके 1 दिन बाद ही पार्टी ने स्पष्ट जवाब दे दिया कि अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा और किसी नेता के आजीवन अध्यक्ष बने रहने का कोई सिद्धांत नहीं होगा. पार्टी नेतृत्व ने दावा किया कि जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. इसलिए वह प्रस्ताव अपने आप ही खत्म हो गया.
यद्यपि चुनाव आयोग ने वाईएसआर कांग्रेस को सही ताकीद दी है लेकिन फिर भी किसी नेता को बार-बार अध्यक्ष चुने जाने पर कोई रोक नहीं है. पैमाने सभी पार्टियों के लिए एक जैसे होने चाहिए. कांग्रेस में 2 दशक से ज्यादा समय से सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी हुई हैं. पार्टी के चुनाव नियमित रूप से होने चाहिए. यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि बसपा, सपा, बीजद, एनसीपी में क्या स्थिति है. दक्षिण भारत में जयललिता और करुणानिधि अपनी पार्टियों के आजीवन अध्यक्ष बने रहे.