100 करोड़ में राज्यपाल पद, अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश

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    राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वालों को इतना विवेक भी होना चाहिए कि हर काम पैसे से नहीं होता, स्वयं की भी कुछ योग्यता व लोकप्रियता होनी चाहिए. सच्चे नेता पद के पीछे नहीं भागते, बल्कि पद उनके पीछे आता है. विगत दशकों में यह धारणा व्याप्त हो चुकी है कि लोग धनबल की वजह से विधायक और सांसद बन गए. ऐसा व्यक्ति जो नगरपालिका के लिए भी नहीं चुना जा सकता था, वह मोटी रकम देकर विधान परिषद या राज्यसभा का सदस्य बन जाता है. 

    इन बातों में कितना तथ्य है, यह कोई नहीं देखता. लोगों की इसी धारणा का लाभ एक अंतरराज्यीय गिरोह ने उठाया. सीबीआई ने 100 करोड़ रुपए लेकर राज्यसभा की सीट दिलाने और राज्यपाल बनवाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतराराज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ किया है. कई राज्यों में फैले शातिर ठगों के इस गिरोह को पैसों के लेनदेन से ठीक पहले पकड़ा गया. 

    इस सिलसिले में सीबीआई ने कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. सीबीआई अधिकारी विगत कुछ सप्ताह से इंटरसेप्टर के जरिए इन ठगों का फोन कॉल सुन रहे थे. आरोपियों की हरकतों पर उनकी नजर थी. डील जब फाइनल होने वाली थी, तभी सीबीआई ने आरोपियों में से एक को दबोच लिया. उससे पूछताछ के आधार पर अन्य लोगों का पता चला. अभी तक इस प्रकरण में 5 लोगों को आरोपी बनाया गया है. 

    गिरफ्तार लोगों में महाराष्ट्र के लातूर का कमलाकर प्रेमकुमार बंडगर, कर्नाटक का रवींद्र नाईक तथा दिल्ली एनसीआर के महेंद्रपाल अरोड़ा, अभिषेक बूटा और मोहम्मद एजाज खान शामिल हैं. इनमें से कमलाकर स्वयं को सीबीआई अधिकारी बताता था और बड़े लोगों से संबंध होने का दावा कर ठगी करता था. वह अपने साथियों को झांसा देकर शिकार फंसाने को कहता था ताकि वह करोड़ों रुपए की डील कर सके. 

    सीबीआई ने इस गिरोह के मंसूबों पर पानी फेर दिया. इसी तरह महाराष्ट्र में भी ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां एक गिरोह ने बीजेपी के एक विधायक से 100 करोड़ रुपए की मांग की थी, जिसके बदले एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री बनवाने का ऑफर था. इस गिरोह को भी गिरफ्तार कर लिया गया.