दुष्कर्म मामले में जीतन राम मांझी का बेतुका बयान

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    अपने असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना बयान के लिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए. हाजीपुर में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की वहशतभरी घटना पर उनका खून नहीं खौला बल्कि ऐसे जंगल राज का बचाव करते हुए उन्होंने निहायत बेतुका और विवादित बयान दे डाला. उन्होंने नीतीश सरकार की ढाल बनते हुए कहा कि बिहार बड़ा राज्य है, रेप जैसी घटनाएं होती रहती हैं. बिहार की आबादी आधा करोड़ या 1 करोड़ नहीं है.

    यहां की कुल आबादी 12 करोड़ है जब बर्तन ज्यादा होते हैं तो खनकते हैं. ऐसी घटना के पीछे सरकार को बदनाम करने की साजिश भी रची जा रही है. इस सरकार का उद्देश्य किसी निर्दोष को परेशान करना और किसी अपराधी को बख्शना नहीं है. जहां तक बिहार में कानून-व्यवस्था की बात है तो इससे कोई समझौता नहीं होगा. नीतीश कुमार की सरकार अपराध के प्रति जीरो टालरेंट की नीति पर चल रही है. दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध को सतही तौर पर लेना यही दिखाता है कि जीतनराम मांझी को महिलाओं की गरिमा और सम्मान की कोई चिंता नहीं है. दुष्कर्म किसी महिला के लिए बहुत बड़ी त्रासदी है.

    जो उसे जीवन भर की टीस दे जाती है. जीतनराम मांझी यदि सचमुच जिम्मेदार जननेता होते तो कहते कि यह अपराध असहनीय है जिसके लिए दुष्कर्मियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए. उनके बयान में दुष्कर्म पीड़िता के लिए सहानुभूति का एक शब्द भी नहीं है. उन्होंने ‘चलता है’ वाला रवैया अपनाया वे उस सरकार की वकालत कर रहे हैं जो कानून-व्यवस्था सुधारने में अक्षम रही है. दुष्कर्म का मामला ‘सुशासन बाबू’ कहलानेवाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशासन पर कमजोर पकड़ को दर्शाता है.

    बिहार के पड़ोसी राज्य यूपी की आबादी और वहां होनेवाले अपराध काफी ज्यादा थे लेकिन एक सख्त सीएम के रूम में योगी आदित्यनाथ ने सख्ती से अपराध रूकवाए. पुलिस को अपराधियों से निपटने की खुली छूट दी. नीतीश कुमार लालू की पार्टी राजद के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री तो बने हुए हैं लेकिन राजनीति ही सबकुछ नहीं होती. उन्हें कानून-व्यवस्था को सख्ती से लागू करना होगा.