Scammers will also get badge number like prisoners

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विजय माल्या, पी. चिदंबरम, मनीष सिसोदिया जैसे देश में लगभग 2.5 लाख आर्थिक अपराधी या घोटालेबाज हैं जिनके खिलाफ जांच में तेजी लाना और कार्रवाई करना आवश्यक है. वर्तमान व्यवस्था में एक एजेंसी जांच पूरी करती है और आरोपपत्र दाखिल करती है तब उस जानकारी को आगे की जांच के लिए दूसरी एजेंसी के साथ शेयर किया जाता है. इस वजह से सारी एजेंसियां एक साथ जांच नहीं कर पातीं. यह प्रक्रिया तभी तेज हो सकती है जब तमाम एजेंसियों के पास आवश्यक बुनियादी जानकारी उपलब्ध हों और वह एक साथ जांच कर सकें. इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय के तहत आनेवाले केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो ने 2.5 लाख आर्थिक अपराधियों का एक डाटा बेस तैयार किया है. आर्थिक अपराध के आरोप व्यक्ति या कंपनी के लिए एक ‘यूनिक इकोनॉमिक आफेंडर कोड’ जारी किया जाएगा. यह हर आरोपी के लिए अलग होगा. यह आधार नंबर और पैन कार्ड से जुड़ा होगा. इसलिए आरोपी की पहचान करना हर एजेंसी के लिए सहज हो जाएगा और उसका सारा विवरण तत्काल उपलब्ध होने से जांच में आसानी होगी. जिस तरह अपराधियों को सजा मिलने पर जेल में बिल्ला नंबर से उनकी पहचान की जाती है और इसी नंबर से उनकी सुबह-शाम हाजिरी ली जाती है, ठीक वैसे ही आर्थिक घोटालेबाजों को भी बिल्ला नंबर या कोड से पहचाना जाएगा. यह कोड अल्फा न्यूमेरिक अर्थात अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों और अंकों वाला होगा. कंपनी या व्यक्तियों के आधार व पैन नंबर जुड़े होने से उनके खिलाफ अपराध के सभी मामलों को जोड़ना या लिंक करना आसान हो जाएगा. इस तरह जांच एजेंसियां अभियुक्त को सभी तरफ से घेर लेंगी और उनका बचना मुश्किल हो जाएगा. यह प्रणाली 40 करोड़ रुपए के बजट से तैयार की गई है इसमें जैसे ही पुलिस या कोई केंद्रीय खुफिया अथवा प्रवर्तन एजेंसी राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रिकार्ड (एनईओआर) में डेटा अपलोड करेगी, अपने आप सिस्टम से एक कोड़ जारी हो जाएगा. मनीलॉड्रिंग जैसी गंभीर आर्थिक अपराध का आरोपियों के नाम और विवरण इसमें तत्काल उपलब्ध हो जाएगा. एनईओआर एक केंद्रीय कोष की तरह काम करेगा और आर्थिक अपराधियों के डेटा को केंद्रीय व राज्यों की जांच एजेंसियों के साथ साझा करेगी. इससे ईडी, सीबीआई, कस्टम्स सहित विभिन्न जांच एजेंसियां एक साथ अपने-अपने स्तर पर तत्परता से जांच शुरू कर देंगी और उनकी जानकारी का आदान-प्रदान भी हो जाएगा. जांच प्रक्रिया की अनावश्यक पुनरावृत्ति नहीं होगी और पूरा विवरण सामने होने से घोटालेबाज के खिलाफ कार्रवाई तेजी से होने लगेगी.