OBC आरक्षण पर पेंच सुको की सम्मति नहीं सरकार ने टाले चुनाव

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    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट ठुकरा दी जिसमें स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण बहाल करने की सिफारिश की गई थी. कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार सुनाते हुए कहा कि जिसे आप इम्पिरिकल डेटा बता रहे हैं, वह कहां से कट-पेस्ट किया गया है? यह रिपोर्ट बिना अनुभवजन्य अध्ययन और शोध के तैयार की गई, जिसे रद्द किया जाता है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि राज्य की 800 ग्राम पंचायतों, 5 महानगरपालिकाओं तथा 100 नगरपालिकाओं में ओबीसी आरक्षण के बगैर सामान्य वर्ग में चुनाव कराया जाए.

    इस निर्णय के बाद आघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें फैसला किया गया कि जब तक ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुलझता नहीं, तब तक महानगरपालिका सहित स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं होंगे. खाद्य व नागरी आपूर्ति मंत्री व ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं कराना चाहिए. यदि कोई त्रुटि रह गई है तो उसे ठीक किया जा सकता है. राज्य के अनेक जिलों में स्थानीय निकाय में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा होता है. इसे लेकर विकास गवली ने याचिका दायर की थी.

    सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर वस्तुस्थिति पर आधारित आंकड़ेवारी (इम्पिरिकल डेटा) पेश किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एएम खानविलकर व सीटी रविकुमार ने कहा कि राज्य की ओर से जो डेटा दिया गया, उसमें राजनीतिक पिछड़ेपन का उल्लेख नहीं है. पीवी नरसिंहराव के प्रधानमंत्री रहते 73 व 74वां संविधान संशोधन कर स्थानीय निकायों में अजा-अजजा को आबादी के अनुसार आरक्षण दिया गया था तथा ओबीसी आरक्षण का मुद्दा राज्यों पर छोड़ दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णमूर्ति मामले में कहा था कि ओबीसी पिछड़े वर्ग में आते हैं जिन्हें आरक्षण मिलना चाहिए.

    इसके लिए इम्पिरिकल डेटा होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी मामले में यह भी कहा था कि आरक्षण की मर्यादा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 1993 में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने से कुछ जिलों में आरक्षण की मर्यादा 50 फीसदी को पार कर गई. आदिवासी बहुल इलाकों में ओबीसी आरक्षण कम करने की जरूरत थी लेकिन वैसा नहीं किया गया. राजनीतिक दृष्टि से ऐसा करना फायदेमंद नहीं था.