इंदिरा गांधी के कारण अस्तित्व में आया बांग्लादेश

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    इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब भारत ने युद्ध में निर्णायक जीत हासिल करने के बाद वहां की एक इंच जमीन भी अपने कब्जे में नहीं रखते हुए एक स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश (Bangladesh Independence) का निर्माण कर उसे वहां की जनता को सौंप दिया. यह बांग्लादेश अपनी स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है जो भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की दृढ़ता और शौर्य के कारण अस्तित्व में आया. पाकिस्तान (Pakistan) में 1970 हुए आम चुनाव में शेख मुजीबुर रहमान की (Sheikh Mujibur Rehman) पार्टी अवामी लीग ने भारी बहुमत हासिल किया था और पश्चिमी पाकिस्तान की सारी पार्टियों को पीछे छोड़ दिया था जिसमें जुल्फिकारअली भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी में शामिल थी.

    इन चुनावी नतीजों को नहीं माना गया जिसकी वजह से गृहयुद्ध शुरु हो गया पश्चिम पाकिस्तान बंगालियों पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहता था. उसकी फौज ने पूर्व पाकिस्तान में हत्या, आगजनी, लूटपाट और दुष्कर्म शुरु कर दिए. मुजीबुर रहमान को कैद कर लिया गया. पूर्व पाकिस्तान से लाखों की तादाद में शरणार्थी जान बचाने के लिए भारत भागे चले आए. इंदिरा गांधी ने सारे विश्व नेताओं से अपील की कि वे पाकिस्तान पर दबाव डाले और शरणार्थियों की बाढ़ को भारत आने से रोकें. इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ बढ़ रहा था. जब किसी ने इंदिरा गांधी की नहीं सुनी तो बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध में भारत ने सहयोग दिया. तब पाकिस्तान का समर्थन करते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने बंगाल की खाड़ी में 7वां बेडा भेजने की धमकी दी थी. इससे जरा भी विचलित न होते हुए इंदिरा गांधी ने कहा था कि हमारा विक्रांत उसका मुकाबला कर लेगा. भारतीय सेना ने जनरल सैम मानेकशा के कुशल नेतृत्व में पाकिस्तान से पूर्व और पश्चिम दोनों मोर्चों पर मुकाबला किया. आखिर पाकिस्तान की हार हुई और पूर्व पाकिस्तान में सभी ओर से घिर जाने के बाद जनरल नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्म समर्पण कर दिया. इतने युद्धबंदी प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध में  भी नहीं बना पाए थे.

    बांग्लादेश युद्ध में भारत की विजय के बाद पाकिस्तान ने बंग बंधु मुजीबुर रहमान को रिहा कर दिया. वे ढाका लौटे और बांग्लादेश का नेतृत्व संभाल लिया. उन्होंने भूमि  सुधार किए और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया. उन्होंने भारत के साथ मैत्री और सहयोग संधि पर हस्तक्षर किए. इतने लोकप्रिय नेता मुजीबुर रहमान की सैनिक विद्रोह में 15 अगस्त 1975 को हत्या कर दी गई. मुजीब के साथ उनकी पत्नी व 3 बेटों को भी गोली मार दी गई. विदेश में रहने की वजह से मुजीब की बेटी शेख हसीना बच गईं जो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं. भारत सरकार ने बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान को उनकी 101वीं जयंती पर मरणोपरांत गांधी शांति पुरस्कार देना तय किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे मौके पर बांग्लादेश गए हैं. दोनों देशों के बीच राजनीतिक और व्यापारिक सहयोग में निरंतर वृद्धि हुई है.