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जो लोग आइसोलेशन में जाने से घबराते हैं उन्हें भारत की गौरवशाली परंपरा का स्मरण करना चाहिए। हमारे ऋषि-मुनि नगरों से दूर घने जंगलों में जाकर आश्रम बनाकर रहते थे। वहां वे तपस्या और स्पाध्याय करते थे। यही उनका आइसोलेशन था जिसमें उन्हें प्रकृति का सानिध्य मिलता था।

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पड़ोसी ने हमसे कह, ‘‘निशानेबाज, जो लोग आइसोलेशन में जाने से घबराते हैं उन्हें भारत की गौरवशाली परंपरा का स्मरण करना चाहिए। हमारे ऋषि-मुनि नगरों से दूर घने जंगलों में जाकर आश्रम बनाकर रहते थे। वहां वे तपस्या और स्पाध्याय करते थे। यही उनका आइसोलेशन था जिसमें उन्हें प्रकृति का सानिध्य मिलता था। इसके अलावा 75 वर्ष की उम्र हो जाने पर लोग संन्यास लेकर वन में रहने को चले जाते थे। तब एकांतवस जीवन का एक भाग था जिसे लोग स्वेच्छा से स्वीकार करते थे।’’ हमने कहा, ‘‘आप कहां की बात कहां ले जा रहे हैं। इस समय उन लोगों को आइसोलेशन में भेजा जा रहा है जिन्हें कोरोना संक्रमण होने की आशंका है। यदि 2 सप्ताह में उनमें कोई लक्षण नहीं पाए गए तो उन्हें अपने घर जाने दिया जाता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। कोई भी अकेले रहना नहीं चाहता है लेकिन कोई व्यक्ति दूसरे शहर या राज्य से आए तो उसे आइसोलेशन में डालना बेहद जरूरी है। ऐसा करने से कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है। पड़ोसी ने कहा, ‘‘जब कोरोना का किसी ने नाम भी नहीं सुना था, तब भी विदेशी शासक हमारे स्वधीनता सेनानियों को बहुत दूर एकांतवास से भेजते थे। अंग्रेजों ने वासुदेव बलवंत फड़के को अदन ले जाकर कैद कर दिया था। लोकमान्य तिलक को बर्मा (म्यांमार) के मंडाले जेल भेज दिया था। विनायक दामोदर सवरकर को अंडमान-निकोबार के सेल्युलर जेल में काले पानी की सजा काटने के लिए कैद किया गया था। यह भी एक तरह का आइसोलेशन था। अंग्रेज नहीं चाहते थे कि क्रांति का संदेश देश की जनता तक फैले। इसलिए वे ऐसे हथकंडे अपनाते थे।’’ हमने कहा, ‘‘आप तो यह भी कह सकते हैं कि कैकेयी की हठ की वजह से राम, सीता, लक्ष्मण को 14 वर्ष वनवास रूपी आइसोलेशन का कष्ट उठाना पड़ा। पांडव भी 12 वर्ष के वनवास और फिर एक वर्ष अज्ञात वस के दौ्रान आइसोलेशन में रहे।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आज के जमाने में आइसोलेशन या एकांतवास के लिए जंगल में नहीं जाना पड़ता। सारे जंगल सरकारी हो गए हैं जहां कोई नहीं घुस सकता। अब कोरोना संदिग्धों को किसी स्कूल, कालेज या सार्वजनिक इमारत में ठहराया जाता है। जो आइसोलेशन से निकलकर भाग जाता है, उसे पुलिस खोज निकालती है। तनहाई या एकांत में रहकर व्यक्ति चाहे तो आत्मचिंतन कर सकता है।’’