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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश सुनकर पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री की याद आ गई. शास्त्री ने खाद्यान्न संकट की घड़ी में समूचे देशवासियों से हर सोमवार को एक वक्त भोजन न करने को कहा था. इसका कितने ही लोगों ने पालन भी किया. अब पीएम मोदी ने कोरोना के विश्वव्यापी संकट की घड़ी में देशवासियों का समुचित मार्गदर्शन करते हुए उनका मनोबल बढ़ाया है. बड़े आत्मीयतापूर्ण ढंग से उन्होंने ऐसी बातें समझाई हैं कि जिनका पालन करने से लोग खुद भी कोरोना की आपदा से बच सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जनता को अत्यंत व्यावहारिक परामर्श दिया और अफवाहों से दूर रहकर जनहित में 9 संकल्प लेने को कहा. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि कोरोना की कोई दवा नहीं बनी है इसलिए खुद संक्रमित न हों और प्रियजनों को भी न होने दें. डाक्टरों के यहां भीड़ न करें.

रूटीन हेल्थ चेकअप भी न कराएं. बहुत जरूरी हो तो फैमिली डाक्टर से फोन पर परामर्श कर लें. लोग सोशल डिस्टैंसिंग का कड़ाई से पालन करें. आफिस का काम घर से करें. जब तक बहुत जरूरी न हो, घर से बाहर न निकलें. 60-65 वर्ष के लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है इसलिए वे घर से बिल्कुल भी न निकलें.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, तब तो बुजुर्गों को मार्निंग वाक और व्यर्थ की चहलकदमी से भी परहेज करना चाहिए. बूढ़ों से कहें- बाबाजी जब तक है कोरोना, घर में ही रहना!’’ हमने कहा, ‘‘देश में चल रही जमाखोरी व ढेर सारा सामान स्टोर कर लेने की प्रवृत्ति को लेकर भी पीएम ने सावधान किया. उन्होंने कहा कि जमाखोरी से बचें. दूध, किराना, अनाज, दवाइयों की कोई कमी नहीं होने पाएगी. उन्होंने एक और महत्वपूर्ण आवाहन किया कि महामारी से बचाने के लिए जितने भी डाक्टर, पुलिस, विमान-रेल कर्मचारी, स्वच्छता कर्मी, व मीडिया के लोग अपनी ड्यूटी पर लगे हैं, उन राष्ट्ररक्षकों का हौसला बढ़ाने व उनके सम्मान के लिए रविवार की शाम 5 बजे अपने घर या फ्लैट की बालकनी से ही थाली-ताली और घंटी बजाएं. रविवार को एकजुटता दिखाते हुए जनता कर्फ्यू लगाएं और सुबह 7 बजे से रात के 9 बजे के बीच अत्यावश्यक सेवाओं को छोड़कर देश में कोई भी व्यक्ति घर से बाहर न निकले.’’