अपने नेताओं को BJP का कहना, पत्रकारों के जाल में न फंसना

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी (BJP) को विपक्षी पार्टियों का कोई डर नहीं है लेकिन यह मजबूत पार्टी पत्रकारों से खौफ खाती है। उसे लगता है कि पत्रकार तिल का ताड़ बनाते हैं, अपने पैने सवालों से नेता को उत्तेजित करते हैं और कुछ न कुछ बोलने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रेस कांफ्रेंस में चक्रव्यूह बनाकर नेता को घेरने की कोशिश की जाती है।’’

हमने कहा, ‘‘बीजेपी को डरने की क्या जरूरत! जिसका दामन साफ है, वह किसी से नहीं डरता। खोद-खोद कर प्रश्न पूछनेवाले रिपोर्टरों से बात करना नापसंद है तो अखबारों के जिम्मेदार सीनियर संपादकों से बेखौफ होकर बात करें।’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी को विपक्षी गठबंधन इंडिया से नहीं बल्कि मीडिया से भय लगता है। वैसे कितने ही लोगों की राय में मीडिया का एक वर्ग बगैर दांत और पंजे वाला ‘गोदी मीडिया’ बन चुका है। फिर घबराने की क्या बात!’’

हमने कहा, ‘‘बीजेपी ने अपने नेताओं-प्रवक्ताओं को टिप्स दी है कि पत्रकारों के जाल में न फंसें। पार्टी की गाइडलाइन में कहा गया है कि पत्रकार आपको फंसाने के लिए लगातार सवालों की बौछार करेंगे लेकिन उत्तर देते समय सावधान रहे। शब्दों के जाल में न फंसें। पार्टी की नीति या रुख के खिलाफ एक शब्द भी न बोलें। ऑफ दि रिकार्ड कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं है। जल्दबाजी में जवाब देते हुए कोई नया विवाद खड़ा न करें। कोई आपकी पार्टी के खिलाफ बोले तो भी चेहरे पर गुस्सा या नकारात्मक भाव न लाएं।’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पत्रकार हमेशा थे और आगे भी रहेंगे। उन्हें कौन रोक पाया है? नारद मुनि सबसे पहले पत्रकार थे जो तीनों लोकों में भ्रमण करते थे। वे देवताओं को दैत्यों की खबर देते थे और दैत्यों को देवताओं की हलचल के बारे में बताते थे। महाभारत में संजय ने युद्ध का आंखों देखा हाल अंधे राजा धृतराष्ट्र को सुनाया था।’’

हमने कहा, ‘‘बीजेपी के नेताओं को इतनी टिप्स देने की जरूरत ही नहीं। वे प्रधानमंत्री मोदी से सीख सकते हैं कि अपने मन की बात सबको सुनाएं लेकिन पत्रकारों से मुखातिब न हों। अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में मोदी ने एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं ली। सिर्फ फिल्म अभिनेता अक्षयकुमार को एक गैरराजनीतिक इंटरव्यू दिया।’’