nishanebaaz-Growing love for the alliance, one hundred ill in the opposition

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज विपक्ष की राजनीति साझे की खेती बन गई है. इसमें किसी का फायदा नहीं हैं. इस पोलिटिकल वैगन की दिशा सुनिश्चित नहीं है. पता नहीं किस गहरी खाई में जाकर गिर जाएगी.’’

हमने कहा, ‘‘विपक्ष को लेकर पक्षपात की भाषा मत बोलो. एक लकड़ी टूट सकती है लेकिन जब लकड़ियों का गठ्ठा मजबूती से बांधा जाता है तो वह नहीं टूटता. एकता में शक्ति होती है. नीतिमत्ता के साथ नीतीशकुमार को यूपीए का संयोजक बनाकर विपक्षी पार्टियों को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जोड़ने का प्रयास हो रहा है. हो सकता है कि यह फेविकॉल का मजबूत जोड़ साबित हो. महाभारत में 7 महारथियों ने चक्रव्यूह में अभिमन्यु को घेर लिया था. यहां भी राहुल, नीतीश, ममता, केजरीवाल, पवार, चंद्रशेखर राव और स्टालिन कहेंगे कि हम साथ-साथ हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राजनीति में मतलब की यारी होती है. यदि गठबंधन सत्ता में आता है तो उसकी सारी पार्टियां लूट के माल में साझेदारी चाहेंगी. मनमोहन सिंह अपनी यूपीए सरकार के मंत्रियों के घोटाले रोक नहीं पाए थे. सत्ता का भूखा विपक्ष यदि केंद्र में सरकार बनाएगा तो क्या स्थिरता और सुशासन दे पाएगा? यदि विपक्ष को चुनावी सफलता मिली तो तय करना मुश्किल हो जाएगा कि इस बारात में दूल्हा कौन है. विपक्ष में एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति है. बताइए, सत्ता का अनार कैसे बंटेगा?’’

हमने कहा, ‘‘अनार का छिलका तोड़कर दाने निकाले और बांटे जा सकते हैं. अनार खाने से खून बढ़ता है. वह विपक्ष का एनीमिया दूर कर देगा. आपने फिल्म ‘हिना’ का गीत अनारदाना-अनारदाना सुना होगा. इतना तो मानकर चलिए कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर विपक्षी पार्टियां हाथ मिला लेंगी. इसके बगैर 56 इंच के सीनेवाले मोदी से मुकाबला नहीं हो सकता.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले टीजर और ट्रेलर दिखाया जाता है और बाद में सिनेमा. इस वर्ष 6 राज्यों के चुनाव में ट्रेलर दिख जाएगा और असली मूवी 2024 में नजर आएगी.’’