nishanebaaz PM Modi's growing popularity, the importance of Charan Sparsh

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज देश में कितने ही संस्कारी लोग है जो अपने माता-पिता, गुरुजनों और अपने से बड़ों का चरणस्पर्स कर आशीर्वाद लिया करते हैं. मोबाइल का जमाना आने से पहले जब चिट्ठीपत्री लिखी जाती थी तो उसमें लोग लिखते थे- बड़ों को चरण छूना पहुंचे, बच्चों को आशीर्वाद. हम यहां कुशल मंगल है और आपकी कुशलता ईश्वर से नेक चाहते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘कुछ ऐसे भी लोग हैं जो किसी के चरण छूते नहीं लेकिन आमना-सामना होने पर जोर से कहते हैं- गुरुदेव, आपके चरण कहां हैं? चरणवंदना स्वीकार हो! पापुआ न्यूगिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारपे की विनम्रता और सज्जनता देखिए. उन्होंने हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए झुककर उनके चरण छुए. जवाहरलाल नेहरू किसी को चरणस्पर्श नहीं करने देते थे. वे इसे गुलामी की निशानी मानते थे जबकि भारतीय संस्कृति में बड़ों का चरणस्पर्श उत्तम आचरण माना जाता है. सौभाग्यवती नारियां अपने पति का चरणस्पर्श करती हैं. आज्ञाकारी बच्चे अपने दादा-दादी के चरण झूते हैं. पौराणिक काल में बड़े-बड़े राजा-महाराजा अपने यहां आए तपस्वी ऋषि-मुनियों के चरणों में शरण लेते थे. आपने रामायण की पंक्ति सुनी होगी- रामचरण पंकज उरधाहू लंका अचल राज तुम करहू.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, चरण शब्द की वजह से हरिचरण, रामचरण, शिवचरण, अम्बिकाचरण, भगवतीचरण, ईश्वरीचरण, गिरीजाचरण, श्यामाचरण, विद्याचरण जैसे नाम रखे जाते रहे. फिल्म आरआरआर के हीरो रामचरण और जूनियर एनटीआर ने ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब अवार्ड समारोहों में अपने नाटू-नाटू नृत्य की फास्ट स्टेप्स से दर्शकों का दिल जीत लिया था. अभी कश्मीर में हो रही जी-20 बैठक में पहुंचे डेलीमेट्स के साथ भी रामचरण ने नाटूनाटू डान्स किया जिससे माहौल बन गया. एक जूते-चप्पल बेचनेवाली दूकान ने साइनबोर्ड पर अपना नाम ‘चरणसेवा’ लिख रखा है. नृत्य हो या फुटबाल का मैच वहां चरणों की चपलता दिखानी पड़ती है. क्रिकेट में भी फुटवर्क का महत्व है. कुछ लोग जहां जाते हैं वहां कबाडा करके रख देते हैं. इसलिए कहावत बनी है- जहं-जहं चरण पड़े संतन के, तहं-तहं बंटाढार!’’