Politicians can't do as they want, now no airline is official

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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बड़े-बड़े नेताओं और उच्च संवैधानिक पदों पर विराजमान लाट-गवर्नर जैसी हस्तियों को भी प्राइवेटाइजेशन की कीमत चुकानी पड़ रही है. उनका रुआब सिर्फ सरकारी क्षेत्र में ही चलता है. प्राइवेट में कौन उनकी सुनेगा?’’

हमने कहा, ‘‘ऐसी कौन सी अनोखी या अटपटी बात हो गई जिसमें महामहिम की महिमा का असर नहीं पड़ा? कहावत तो यह है कि राजा बोले, हाथी डोले!’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज यह हाथी नहीं हवाई जहाज का मामला है. कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत को लिए बगैर ही एयर एशिया के विमान ने कैंपगौड़ा एयरपोर्ट से उड़ान भरी. यह कितनी बड़ी गुस्ताखी है. एक समय ऐसा भी था जब एयर इंडिया व इंडियन एयरलाइंस के विमान में मंत्री, सांसद और उच्चाधिकारी मुफ्त में सफर करते थे. इतना ही नहीं एक बार तो दिल्ली से पटना जा रहे एक नेता ने पायलट को बीच में लखनऊ में विमान उतारने से मना कर दिया था और कहा था सीधे पटना ले चलो. इस वजह से लखनऊ में उतरनेवाले और वहां से बोर्डिंग करनेवाले यात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ी थी.’’

हमने कहा, ‘‘अब कोई एयरलाइन सरकारी नहीं रह गई. इसलिए प्राइवेट एयरलाइन पर कोई ठसन नहीं चलती. वह नेता और जनता में फर्क नहीं करती. वह किसी वीआईपी के लिए एक मिनट भी नहीं ठहरती.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राजभवन का आरोप है कि राज्यपाल समय पर लगभग 1.35 बजे एयरपोर्ट पहुंच गए थे. फ्लाइट 2.05 बजे की थी. राज्यपाल के पास जेड प्लस सुरक्षा है इसलिए उन्हें विमान में सबसे आखिरी में चढ़ना था. टर्मिनल से विमान तक पहुंचने में समय लगा. राज्यपाल 1 मिनट देर से पहुंचे. विमान के गेट खुले हुए थे फिर भी तमाम अनुरोधों के बावजूद राज्यपाल को फ्लाइट में नहीं बैठने दिया गया. विमान उन्हें लिए बिना उड़ गया. राज्यपाल के प्रोटोकॉल ऑफिसर ने एयर एशिया के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इस विवाद के बाद एयर एशिया ने कहा कि हमें इस घटना पर गहरा अफसोस है व मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी.’’ हमने कहा, ‘‘ये सब कहने की बातें हैं. साफ दिख गया कि निजी एयरलाइन सरकारी दबाव में नहीं आती.’’