Rajnikanth Birthday
Rajnikanth Birthday

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नवभारत मनोरंजन डेस्क: बॉलीवुड में परदे पर हीरो जितना लार्जर दैन लाइफ दिखता है, निजी जीवन में उससे भी ज्यादा लार्जर दैन लाइफ दिखने की कोशिश करता है। लेकिन अभिनेता रजनीकांत इसके अपवाद हैं। भले ही परदे पर रजनीकांत अपनी निजी छवि के विपरीत दिखते हों, लेकिन उनकी सादगी ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वो खुद को आम आदमी की तरह ही हर जगह पेश करते हैं और उनकी इसी अदा पर उनके फैंस फिदा हैं। आज रजनीकांत अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए डालते हैं रजनीकांत के फिल्मी सफर पर एक नजर…

सबसे अलग है थलाइवा का स्टाइल

रजनीकांत एकमात्र ऐसे एक्टर हैं जिनकी साउथ से लेकर बॉलीवुड तक अपनी एक खास शैली है, जो खुद उनके द्वारा ही विकसित की गयी है और मजे की बात ये है कि थलाइवा के स्टाइल की कॉपी असंभव है। उनके चलने की अदा हो या फिर होठों को चबा-चबा कर संवाद बोलने का अंदाज या फिर सिगरेट को हवा में उछलकर पिस्तौल से सुलगाने का स्टाइल.. ये सब रजनीकांत के स्टाइल को सबसे अलहदा बनाती है।

खलनायक के तौर पर शुरू हुआ फिल्मी सफर

12 दिसंबर, 1950 को बेंगलुरू में जन्मे शिवाजी राव गायकवाड़ उर्फ़ रजनीकांत की कामयाबी का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। एक मामूली से बस कंडक्टर के रूप में शुरू हुई उनकी जीवन यात्रा काफी उतार-चढ़ाव से भरी रही। रजनीकांत की मुलाकात एक नाटक के मंचन के दौरान फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर से हुई थी, जिन्होंने उनके समक्ष उनकी तमिल फिल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव रखा। इस तरह उनके करियर की शुरुआत बालाचंदर निर्देशित तमिल फिल्म ‘अपूर्वा रागंगाल’ (1975) से हुई, जिसमें वह खलनायक बने।

रजनीकांत की कामयाबी ने बॉलीवुड में दी दस्तक

इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। करियर की शुरुआत में तमिल फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएं निभाने के बाद वह धीरे-धीरे एक स्थापित अभिनेता की तरह उभरे। तेलुगू फिल्म ‘छिलाकाम्मा चेप्पिनडी’ में उन्हें हीरो बनने का मौका मिला। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ वर्षो में ही रजनीकांत तमिल सिनेमा के कामयाब सितारे बन गए। 1982 तक रजनीकांत तमिल फिल्मों के सुपर स्टार बन चुके थे और उनकी कामयाबी बॉलीवुड में भी दस्तक देने लगी थी।

अमिताभ बच्चन के साथ खूब जमी जोड़ी

1983 में निर्देशक टी रामाराव उन्हें फिल्म’अंधा कानून’ के जरिए हिंदी फिल्मों में लेकर आए। इस फिल्म में उनके साथ अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की जोड़ी भी मौजूद थी। अपनी छोटी सी भूमिका रजनीकांत ने बिग बी अपने होने का एहसास करवा दिया। हीरोगिरी अमिताभ के हिस्से आई और तालियां रजनीकांत बटोर ले गए। फिल्म में बिग बी साथ रजनी की जोड़ी को पसंद किया गया और आगे निर्देशकों ने इस जोड़ी को ‘गिरफ्तार’, ‘हम’ जैसी फिल्मों में सफलता के साथ आजमाया।

जल्द ही बॉलीवुड से उब गए रजनीकांत

जल्द ही साउथ के थलाइवा बॉलीवुड की भेड़चाल के शिकार हो गए और ‘मेरी अदालत’, ‘जॉन जॉनी जनार्दन’, ‘कानून का कर्ज’, ‘फूल बने अंगारे’, ‘भगवान दादा’, ‘इंसाफ कौन करेगा’ और ‘खून का कर्ज’ जैसी फिल्मों में खुद को दोहराते नजर आए। दोहराव के बावजूद दर्शक रजनीमार्का शैली से बोर नहीं हुए, लेकिन खुद रजनीकांत को ये एकरसता रास नहीं आई और उन्होने हिंदी फिल्मों को अलविदा कह फिर से साउथ का रुख कर लिया।

तमिल इंडस्ट्री में हुई ग्रैंड वापसी

तमिल फिल्मों ने अपने इस हीरो की वापसी का इस्तकबाल इतनी गर्मजोशी से किया की खुद रजनीकांत भी हैरान हो गए। 2002 में फिल्म ‘बाबा’ से तमिल फिल्मों में रजनीकांत की ग्रैंड वापसी हुई। इससे बाद रजनीकांत ने ‘शिवाजी’, ‘बॉस शंकर’ जैसी एक के बाद एक कामयाब फिल्मों की झड़ी लगा दी।

साउथ में रजनीकांत को पूजते हैं लोग

रजनीकांत के प्रति दर्शकों की दीवानगी का आलम ये है कि इस उम्र में भी उनकी फिल्में रिलीज होने से पहले ही सुपर हिट हो जाती है। दर्शक रात से ही टिकट के लिए लाइन में खड़े हो जाते हैं। लोग उनकी पूजा करते हैं। उनकी फिल्मों में पोस्टर का दुग्धभिषेक करते हैं। ये कामयाबी शायद ही किसी और को नसीब हुई हो।