Learning from the dragflick ability of Rupinder Pal Singh-Pratap

भारतीय जूनियर हॉकी टीम के डिफेंडर प्रताप लाकड़ा ने कहा कि वह अनुभवी खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह की ड्रैगफ्लिक जबकि बीरेंद्र लाकड़ा के खेलने के तरीके से प्रेरणा लेते हैं।

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नयी दिल्ली. भारतीय जूनियर हॉकी टीम के डिफेंडर प्रताप लाकड़ा ने कहा कि वह अनुभवी खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह की ड्रैगफ्लिक जबकि बीरेंद्र लाकड़ा के खेलने के तरीके से प्रेरणा लेते हैं। इन दिनों रेलवे में टिकट कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे प्रताप को पहली बार 2017 में जूनियर राष्ट्रीय शिविर में शामिल किया गया। उन्हें यह बात अच्छी तरह पता है कि राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

हॉकी इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक प्रताप ने कहा, ‘‘ बेंगलुरु में सीनियर टीम वहीं अभ्यास करती थी जहां हमारा राष्ट्रीय शिविर होता है। जब भी हमारा विश्राम करने का दिन होता है या जब सीनियर टीम आंतरिक मैच खेल रही होती है, तो हम उन्हें देखने जाते हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘ मैं ड्रैगफ्लिक लगाने के मामले में रूपिंदर पाल सिंह से सीख लेता हूं जबकि डिफेंस और खेल के मामले में मैं बीरेंद्र लाकड़ा का अनुसरण करता हूं।”

इस युवा खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ दोनों बहुत अनुभवी हैं और टीम को विशेष कौशल प्रदान करते हैं। उनका अनुसरण करने से मुझे अपने खेल को सुधारने में मदद मिलती है।” ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में बेलडिही नामक एक छोटी सी जगह के रहने वाले प्रताप को हॉकी विरासत में मिली है। उनके पिता और बहन हॉकी के कारण उस क्षेत्र में पहले से ही लोकप्रिय हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे लिए, हॉकी एक स्वाभाविक पसंद थी। मेरे गाँव में सभी लोग इस खेल को खेलते थे। मेरी बहन ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया है और मेरे पिता खासी टूर्नामेंट में नियमित तौर पर खेलते थे। जब मैं हॉकी स्टिक उठाता था तब मैं बहुत छोटा था और मुझे पता था कि हॉकी मेरा भविष्य होगा।” प्रताप 2012 में पंपोश खेल हॉस्टल से जुड़े जहां उन्हें दिलीप टिर्की और लाजारूस बरला से खेल को सिखने का मौका मिला। प्रताप ने 2017 और 2019 में सुल्तान ऑफ जोहोर कप के अलावा स्पेन में पिछले साल आठ देशों के टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्हें ऑस्ट्रेलिया और ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करना सबसे अधिक पसंद है।

उन्होंने कहा, ‘‘ ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ खेलना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वे अपनी जगह से खेलते हैं और विरोधी टीम की छोटी गलतियों का फायदा उठाते हैं। ऑस्ट्रेलिया और ग्रेट ब्रिटेन से काफी कुछ सीखने को मिलता है। अगले साल होने वाले एफआईएच जूनियर विश्व कप में इन दोनों टीम पर नजर रखनी होगी।” (एजेंसी)