नई दिल्ली. तोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद व्यावसायिक दायित्वों और सामाजिक प्रतिबद्धताओं ने नीरज चोपड़ा के खेल पर काफी असर डाला। चोपड़ा ने उस अनुभव से ‘सीख’ लेने के बाद आगामी सत्र में चीजों को अलग तरह से करने की योजना बनायी है। ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी चोपड़ा ने गुरुवार को ज्यूरिख में प्रतिष्ठित डायमंड लीग फाइनल का खिताब जीतने वाला पहला भारतीय बन कर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान नीरज चोपड़ा ने शुक्रवार को कहा, “अगले दो साल महत्वपूर्ण हैं। एशियाई खेल और राष्ट्रीय चैंपियनशिप शुरू हो चुकी हैं। 2024 में फिर से ओलिंपिक भी शुरू होंगे, तैयारी शुरू करनी होगी।” उन्होंने कहा, “मैंने राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अपनी चोट के बारे में महसूस किया था। हालांकि, मैं पूरे सीजन के परिणाम से खुश था जहां देश ने कई पदक जीते। मुझे खुशी है कि मैं जल्दी ठीक हो गया और डायमंड ट्रॉफी जीत सका।”
नीरज चोपड़ा ने अपनी अंग्रेजी को लेकर कहा, “मेरी अंग्रेजी में सुधार हुआ है लेकिन अभी बहुत अच्छी नहीं है। हालाँकि, मैंने इसे उस बिंदु तक सीखा है जहाँ मैं समझता हूँ कि दूसरे क्या कहना चाहते हैं, दूसरों को यह समझाएँ कि मैं क्या कहना चाहता हूँ। एथलेटिक्स एक वैश्विक खेल है और मूल बातें जानने से मदद मिलती है।”
Zurich, Switzerland | Next two years are important. Asian games & national championships are up. Olympics will also start again in 2024, have to begin preparing for them: Neeraj Chopra after winning the Diamond League final title pic.twitter.com/q47PMtpGn5
— ANI (@ANI) September 9, 2022
चोपड़ा ने कहा, “पिछला साल मेरे लिए नया अनुभव था, सामंजस्य बैठाने में परेशानी हो रही थी लेकिन उस सत्र से मैंने काफी कुछ सीखा है।” उन्होंने कहा, “इस बार कुछ व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के लिए मैं तारीखें पहले ही दे दूंगा। जब अभ्यास का समय आएगा तो मैं उस पर पूरा ध्यान दूंगा ताकि तैयारी में कोई कमी ना रहे।”
विश्व चैम्पियनशिप के इस रजत पदक विजेता ने कहा, “मैंने ओलंपिक के बाद देर से अभ्यास शुरू किया, ऐसे में फिटनेस हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती थी। मैंने इस दौरान तकनीक और ताकत पर काम किया।” उन्होंने कहा, “इस बार मैं तकनीकी रूप से बहुत अच्छा था। भाला एक तकनीकी खेल है, इसलिए इसने इस बार मेरी मदद की।”
चोपड़ा लगातार 90 मीटर के करीब तक भाला फेंक रहे लेकिन 90 मीटर की बाधा को पार नहीं कर पा रहे है। उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं बिल्कुल भी निराश नहीं हूं, यह (90 मीटर) सिर्फ एक करिश्माई आंकड़ा है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप उस दिन कैसा प्रदर्शन करते हैं। अगर आप 90 मीटर की दूरी हासिल कर लेते हैं और जीत नहीं पाते हैं, तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।”
उन्होंने कहा, “मुझ पर 90 मीटर का कोई दबाव नहीं है, कोई निराशा नहीं है, यह जब होना होगा तब होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व एथलेटिक्स अब भारतीय एथलीटों और उनके प्रदर्शन पर ध्यान देने लगा है।” उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि भारत के ज्यादा खिलाड़ियों को वैश्विक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिले। इससे खिलाड़ियों को अनुभव मिलेगा।”
ज्यूरिख में चोपड़ा ने फाउल से शुरुआत की लेकिन अपने दूसरे प्रयास में 88.44 मीटर भाला फेंक कर वह शीर्ष पर पहुंच गए। यह उनके करियर का चौथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है जो आखिर में उन्हें स्वर्ण पदक दिला गया। उन्होंने अपने अगले चार प्रयास में 88.00 मीटर, 86.11 मीटर, 87.00 मीटर और 83.60 मीटर भाला फेंका।
पहले प्रयास में फाउल थ्रो के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा “कल मैं फिसल गया इसलिए फाउल हो गया। मैं अभ्यास में अच्छा कर रहा था और लय अच्छी थी। मैं 88.44 से संतुष्ट नहीं था। यह सत्र की आखिरी प्रतियोगिता थी, इसलिए मैं थोड़ा थक गया था। मेरा ध्यान हालांकि अच्छा करने पर था।” (एजेंसी इनपुट के साथ)