बबीता फोगाट: कुश्ती की दुनिया में मनवाया लोहा, जानिए कैसा रहा रेसलिंग से राजनीति का सफर

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    नई दिल्ली: कुश्ती की दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाली बबीता फोगाट (Babita Phogat Birthday) का आज यानी 20 नवंबर को जन्मदिन है। इस साल वह अपना 33वां जन्मदिन मना रही हैं। वह अपने शानदार खेल के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। बबीता ने अपने शानदार खेल से कई पदक नाम किए। वह कॉमनवेल्थ गेम्स (CommonWealth Game) 2010 और 2014 में सिल्वर और गोल्ड मेडल पर अपना कब्ज़ा कर चुकी हैं।

    बता दें कि बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म दंगल बबीता और उसकी बहन के जिंदगी पर बनी है। उनके और उनकी बहन गीता की सफलता के पीछे उनके पिता और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता महावीर सिंह फोगाट (Mahavir Singh Phogat) का बड़ा योगदान रहा है। उनके पिता ने दोनों बहनों के पीछे काफी मेहनत की समाज के रीती-रिवाज़ के खिलाफ जाकर अपनी बेटियों को नया मुकाम हासिल करने के लिए मदद और प्रोत्साहित किया है।

    ‘दंगल गर्ल’ नाम से फेमस बबीता फोगाट का जन्म 20  नवंबर 1989 को हरियाणा में भिवानी जिले के छोटे से गांव बलाली के हिन्दू-जाट परिवार में हुआ था।  बबीता महावीर सिंह फोगाट की दूसरी बेटी है। उनकी कुल 4 बहनें गीता (Geeta Phogat), रितु, संगीता हैं, जो सभी आंतरराष्ट्रीय पहलवान है। उनका एक छोटा भाई भी है। बबीता 6 साल की उम्र से ही अपने गांव में अपने भाई बहनों के साथ कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उनके पिता ने अपनी सभी बेटियों को अच्छी तालीम भी दी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाई की बेटी विनेश और प्रियंका को भी ट्रेनिंग दी है।

    मैच से पहले पीती है घी 

    एक मुलाकात के दौरान बबीता फोगाट ने बताया था कि, वह हर मैच से पहले घी पीती हैं। उनकी इस फुर्ती का राज दूध-घी और बादाम ही है। इसके अलावा वह नियमित व्यायाम भी करती हैं। साथ ही वह रोज सुबह 4 बजकर उठकर प्रैक्टिस करती हैं और 3 घंटे की प्रैक्टिस के बाद वह रोज सुबह 250 ग्राम बादाम भी खाती हैं। वह अपने दिन की शुरुआत केले, सेब, ताजा गाजर और अनार के जूस करती हैं। उनकी यह आदत उन्हें फिट रहने में मदद करता है।

    पुलिस की नौकरी छोड़ दी 

    कुश्ती में मेडल जीतने के बाद बबीता फोगाट ने राजनीति में अपना कदम रखा। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ले ली। बता दें कि साल 2009 से 2013 तक किए गए प्रदर्शन के दम पर हरियाणा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनको पुलिस की नौकरी दी, लेकिन उन्होंने राजनीति के लिए नौकरी कुर्बान कर दी।