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    नई दिल्ली. भारत (India) की अजीमोशान और दुनिया में अपने चाहने वालों के लिए ढींग एक्सप्रेस के नाम से पहचान बनाने वाली हिमा दास (Hima Das) आज यानी 09 जनवरी को 22 साल (Happy Birthday Hima Das) की हो गई। जिस प्रकार असम के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने देश का नाम रोशन किया,वो काबिलेतारीफ़ है। वहीं जिंदगी के सारे संघर्षों को मात देते हुए कैसे उन्होंने अपने देश के लिए ऐतिहासिक मेडल हासिल किया यह भी अनुकरणीय है।

    वैसे तो हिमा दास को गांव की तंग उबड़-खाबड़ गलियों से निकालकर अंतरराष्ट्रीय स्तर लाने का श्रेय उनके बचपन के कोच निपुन दास को जाता है जिन्होंने हिमा के परिवार को बड़ी ही मुश्किल से मनाया और ट्रेनिंग के लिए उन्हें अपने साथ गुवाहाटी ले आए। हिमा के कोच बचपन से ही निपुन दास (Nipon Das) रहे थे। ये वही ख़ास व्यक्ति हैं जिन्होंने हिमा की जन्मजात  योग्यता पहचानी और उनके टैलेंट को गांव से बाहर निकालने की सबसे पहले और बड़ी पहल की। हालाँकि बाद में उनकी कोच बनीं रूस की एथलीट गलीना बुखारीना (Galina Bukharina)। जी हाँ हिमा की सफलता में उनके इन दोनों गुरुओं का बहुत बड़ा हाथ रहा है।

    पता हो कि 2018 में ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल खेल (Commonwealth Games) में देश का 4×400 मीटर में प्रतिनिधित्व किया था। इतना ही नहीं वह इस इवेंट के फाइनल में जगह बनाने वाली भारत कि पहली भारतीय महिला एथलीट थीं। हालाँकि इसमें उन्हें जीत तो हासिल नहीं हुई लेकिन उन्होंने दुनिया को अपना दम और पहचान जरूर दिखा दिया। 

    वहीं फिनलैंड के ताम्पेर में हुई वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में हिमा दास ने गोल्ड मेडल को अपने नाम किया। साथ ही 400 मीटर की रेस में उन्होंने 51।46 सेकंड का बेहतरीन समय निकालकर और इस  रेस जीतकर जैसे उन्होंने इतिहास ही रच डाला। पता हो कि इस इवेंट भारत का यह अंतरराष्ट्रीय पर पहला मेडल था। बाद में हिमा दास को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।

    फर्राटा धाविका हिमा दास पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि, उन्होंने ऐसा समय भी देखा है जब वह अपने साधारण जूते पर खुद से एडिडास लिखती थी लेकिन अब खेल सामग्री बनाने वाली यह बड़ी कंपनी उनकी जरूरत के हिसाब से जूते तैयार करती है जिस पर उनका अपना नाम लिखा होता है।

    इस ख़ास घटना को याद करते हुए भावुक घाविका ने कहा, ‘‘शुरूआत में मैं नंगे पांव दौड़ती थी। जब मैं पहली बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही थी तब मेरे पिता मेरे लिए स्पाइक्स वाले जूते ले आये थे। यह सामान्य जूते थे जिस पर मैने खुद से एडिडास लिख दिया था। आप कभी नहीं जानते कि भविष्य में भाग्य क्या कर सकता है, एडिडास अब मेरे नाम के साथ जूते बना रहा है।” उनकी तमाम कामयाबी को  पहचानते हुए साल 2021 में असम सरकार ने उन्हें औपचारिक रूप से पुलिस उपाधीक्षक पद (DSP) का नियुक्ति पत्र दिया।