नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले (Delhi Riots 2020 Case) में बुधवार को 11 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि वे दंगों की अन्य घटनाओं में संलिप्तता के कारण वर्तमान मामले में आगजनी और हत्या की घटना के लिए ‘‘परोक्ष रूप से उत्तरदायी” नहीं हो सकते हैं। अदालत ने हालांकि एक आरोपी के खिलाफ दंगा, हत्या और आगजनी के आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा कि सबूतों से पता चलता है कि वह उस दंगाई भीड़ का हिस्सा था जो ‘‘हिंदूओं और उनकी संपत्तियों के खिलाफ कृत्यों” में लिप्त था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला 12 लोगों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिन पर वर्ष 2020 में 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि को सांप्रदायिक दंगों के दौरान चमन पार्क इलाके में एक गोदाम में आग लगाने के दौरान एक दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मोहम्मद शाहनवाज को छोड़कर अन्य आरोपी व्यक्तियों को इस मामले में चश्मदीदों की गवाही के आधार पर दंगाई भीड़ में उनकी उपस्थिति के चलते दिलबर नेगी (आग में मरने वाला पीड़ित) की गैर इरादतन हत्या के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी बनाते हुए आरोप पत्र दाखिल किया गया है।”
अदालत ने कहा हालांकि, अलग-अलग समय के दौरान भीड़ में इन आरोपी व्यक्तियों की मौजूदगी और दंगे की अन्य घटनाओं में उनकी संलिप्तता उन्हें संपत्ति में आग लगाने की घटना के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी बनाने का आधार नहीं हो सकती, जिसके परिणामस्वरूप नेगी की मौत हो गई।
न्यायाधीश ने कहा कि गवाहों ने शाहनवाज को छोड़कर किसी भी आरोपी की पहचान नहीं की है। मामले में गोकुलपुरी थाना पुलिस ने शाहनवाज, मोहम्मद फैसल, आजाद, असरफ, राशिद, शाहरुख, मोहम्मद शोएब, परवेज, राशिद उर्फ राजा, मोहम्मद ताहिर, सलमान और सोनू सैफी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। (एजेंसी)