भोपाल: मध्य प्रदेश कैबिनेट (Madhya Pradesh Cabinet) ने सोमवार को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज (Medical College) स्थापित करने के इच्छुक निवेशकों को सरकारी जिला अस्पतालों की उपलब्धता का लाभ प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके तहत मेडिकल कॉलेजों की स्थापना (Establishment of Medical Colleges) लिए निवेशकों को जिला अस्पतालों (Hospitals) को उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य के शहरी विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Urban Development Minister Kailash Vijayvargiya) ने कहा कि इससे निवेश की लागत कम हो जागएगी और केवल मेडिकल कॉलेज का भवन निर्मित कराने की जरूरत पड़ेगी ना कि इसके साथ एक अस्पताल बनवाने की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि एक मेडिकल कॉलेज के लिए एक अस्पताल की जरूरत होती है और राज्य सरकार के पास इस तरह की सुविधा (अस्पताल) हर जिले में है।
आगामी विभिन्न कार्यक्रमों के संबंध में आज मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में बैठक ली एवं अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री @kailashOnline जी भी उपस्थित रहे। pic.twitter.com/v7Uey3NfgZ
— Dr Mohan Yadav (Modi Ka Parivar) (@DrMohanYadav51) March 4, 2024
ऐसा है प्लान
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की (MP Chief Minister Mohan Yadav) अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। पीपीपी मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए सरकार जिला कलेक्टर की ओर से निर्दिष्ट दर पर निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराएगी। मंत्री ने कहा, ऐसा माना जाता है कि एक अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की स्थापना में निवेशकों को लगभग 500 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
उन्होंने कहा, ‘‘निवेश लागत कम करने के लिए सरकार निवेशक को जिला अस्पताल को देगी। इसलिए निवेशक को अस्पताल बनाने की जरूरत नहीं है और उसे केवल मेडिकल कॉलेज बनाने की जरूरत होगी।” विजयवर्गीय ने कहा, इस मॉडल में शर्त यह है कि निवेशक जिला अस्पताल के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करेगा।
उन्होंने कहा कि जब मेडिकल कॉलेज और अस्पताल एक साथ चलने लगेंगे तो 75 प्रतिशत बिस्तर केवल गरीबों को उपलब्ध कराने होंगे और निवेशक शेष 25 प्रतिशत का व्यावसायिक उपयोग कर सकता है। यह योजना उन जिलों में लागू की जाएगी जहां फिलहाल मेडिकल कॉलेज नहीं हैं।
(एजेंसी)