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नवभारत डेस्क: मध्य प्रदेश में हुए चुनाव (Madhya Pradesh Election 2023) का नतीजा (Result) 3 दिसंबर 2023 को आने वाला है। लेकिन उससे पहले बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के जीत का दावा कर रही हैं। मध्य प्रदेश में कौन जीतेगा यह तो 3 तारीख को पता चलेगा। लेकिन यह बात तय है कि दोनों ही पार्टी इस समय एक जैसी अवस्था में है।  दोनों के भीतर कहीं ना कहीं डर भी है। शिवराज सिंह चौहान के भीतर अपने अस्तित्व को बचाने का खौफ है। तो वहीं कमलनाथ को यह डर सता रहा है कि अगर इस बार मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में नहीं आई तो यह उनके राजनीतिक सफर में एक बदनुमा दाग बनकर रह जाएगा। यानि यहां उनका भी अस्तित्व दांव पर है। ऐसे में साम दाम दंड भेद किसी भी नीति को दोनों ही पार्टी के नेता छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। चाहे वह अंधविश्वास हो या फिर पूजा पाठ, महाकाल मंदिर से बागेश्वर धाम तक बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। 
 
जब कमलनाथ पहुंचे बागेश्वर धाम 
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री जब चर्चा में आए तो बीजेपी ने उनको हाथों हाथ ले लिया तो ऐसे में राज्य भर में बीजेपी और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री दोनों को फायदा हुआ। दोनों जनता पर गहरा असर डाल रहे थे, तो कांग्रेस कहीं ना कहीं इस विषय पर अपने आप को पीछे छूटता महसूस करने लगी। उसके बाद कांग्रेस भी धीरेंद्र शास्त्री के शरण में जा पहुंची। फरवरी  महीने में कमलनाथ खुद बाबा के दरबार में नजर आए थे। ठीक उससे पहले उमा भारती ने उन्हें अपना बेटा बताया था और शायद बीजेपी-कांग्रेस की इसी कवायत में धीरेंद्र शास्त्री की शोहरत और बढ़ती चली गई। 
 
 
धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास का आरोप 
आपको बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप कई संगठन लगा चुके हैं। वहीं बागेश्वर धाम के बाबा का अपना दावा है कि वह अलौकिक शक्तियों से लैस हैं।  और वह उसी का फायदा लोगों तक पहुंचा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस हमेशा ही अंधविश्वास को दरकिनार करने की बात करती है। लेकिन कहीं ना कहीं कमलनाथ जब बागेश्वर धाम पहुंचे तो सवाल यह भी पूछा गया कि क्या अब कांग्रेस अंधविश्वास पर भी भरोसा करने लगी है। 
 
महाकाल की शरण में दोनों नेता 
वहीं बीते दिनों कमलनाथ महाकाल का दर्शन करने उज्जैन गए थे चुनाव से पहले उन्होंने भगवान शिव के मंदिर में माथा टेका और अच्छे परिणाम की कामना की। तो इस मामले में बीजेपी भला पीछे कैसे रहती, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव का नतीजा आने से कुछ दिन पहले उज्जैन पहुंचे और उन्होंने भी महाकाल का दर्शन किया। भगवान शिव से जीत की कामना की। वहां से निकलने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि उनकी पार्टी बहुमत के साथ मध्य प्रदेश में आने वाली है। 
 
बहुत कठिन है डगर एमपी की 
कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस की अगर बात की जाए तो दोनों की ही डगर मध्य प्रदेश में आसान नहीं है। पिछली बार जनता ने कमलनाथ को चुना था लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई। ऐसे में कमलनाथ को कहीं ना कहीं यह उम्मीद है कि उन्हें अपने साथ हुए धोखे के लिए जनता की सहानुभूति मिलेगी और कांग्रेस एक बार फिर मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी करेगी। वहीं दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान का यह मानना है कि जनता का प्यार उन्हें कई साल से मिल रहा है और यह आगे भी बरकरार रहेगा अब देखना यह होगा कि आखिरकार जनता ने किसे अपना प्यार दिया है?