water supply
प्रतिकात्मक तस्वीर

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    अमरावती.  जिला कभी भी पानी की समस्या से जूझने वाला क्षेत्र नहीं रहा है, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले 50 वर्षों में जिले की प्रत्येक तहसील में जलस्तर लगातार धरातल में पहुंचता जा रहा है. विशेष रूप से विदर्भ का कैलिफोर्निया कही जाने वाली मोर्शी व वरुड़ तहसीलों में स्थिति इतनी बिकट है कि यहां कई स्थानों को ड्राईजोन घोषित कर दिया गया है.

    पिछले वर्ष हुई झमाझम बारिश के बाद भी यहां के हालात को बदलने में नाकाफी है. ड्राईजोन घोषित मोर्शी, वरुड़ के क्षेत्रों को जलयुक्त किए जाने के लिए मनरेगा तथा सिंचाई विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत 2 करोड़ की लागत से जलसंग्रह के कार्य किए जाएंगे. 

    मानसून से पहले कार्यक्रम 

    मोर्शी, वरुड़ यह दोनों ही तहसीलें कृषि बहुल क्षेत्र हैं. यहां की जमीन में उपजाऊ क्षमता अधिक पाई जाती है. इसके बावजूद किसानों के लिए जल किल्लत हमेशा ही मुख्य समस्या का कारण बनी हुई है. न केवल किसानों को सिंचाई के लिए पानी की कमी महसूस होती है, बल्कि जमीन का भूजल स्तर काफी नीचे होने की वजह से बुआई से पहले खेतों को तैयार करने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

    जिससे किसानों का खर्च व मेहनत दोनों बढ़ जाते है. अगर यही स्थिति रही तो भविष्य में उन तहसीलों के किसानों को कड़े संकट से जूझना पड़ेगा. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इस वर्ष मानसून से पहले ही बड़े पैमाने जल संग्रहालय बनाने का कार्यक्रम चलाया जाएगा. 

    स्कूलों व लोगों की लेंगे मदद 

    जलसंग्रहालयों के साथ-साथ भूजल स्तर का प्रमाण बढ़ाने के लिए जगह-जगह रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे. इसकी शुरुआत ग्रामपंचायत कार्यालयों से लेकर समाज भवन से की जाएगी.  इसके अलावा ग्रामीण स्कूलों तथा गांव के प्रतिष्ठित नागरिकों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा. जिले में पिछले दो वर्षों से बेहतर मानसून के बावजूद कई स्थानों पर जलसंकट लगातार बना हुआ है.