Farmers troubled by unseasonal rains disease outbreak

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अमरावती. जिले में बेमौसम बारिश से जहां खरीफ और रबी की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. वहीं अब तक केवल 50 प्रतिशत तक पंचनामा ही पूरा हो सका है जिससे अब किसानों को बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की भरपाई मिलने के लिए इंतजार करना पड़ेगा. पिछले नवंबर के अंत में हुई बेमौसम बारिश के कारण जिले में 1 लाख 65 हजार 360 हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसलों को नुकसान हुआ है. हालांकि सरकार का आदेश है कि इस नुकसान का तुरंत पंचनामा बनाया जाए, लेकिन प्रशासनिक देरी के कारण पंचनामा रुका हुआ है.

गेहूं, चना व प्याज का क्षति

नवंबर महीने में हुई बेमौसम बारिश ने रबी सीजन में गेहूं, चना और प्याज के साथ-साथ खरीप में अरहर और कपास जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाया है. राजस्व प्रशासन ने नुकसान के प्रारंभिक अनुमान में कहा था कि नुकसान 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हुआ है. राजस्व प्रशासन की प्रारंभिक रिपोर्ट थी कि जिले के केवल तीन तहसील में नुकसान हुआ था. इसके बाद जिले के सभी 14 तहसीलों से शिकायतें आने लगीं. कृषि विभाग द्वारा किए गए निरीक्षण में यह बात सामने आई कि जिले में 1 लाख 65 हजार 360 हेक्टेयर भूमि को नुकसान हुआ है. जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी कार्यालय ने यह रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजकर संयुक्त पंचनामा बनाने का अनुरोध किया. कुल क्षतिग्रस्त क्षेत्र में से अब तक 87,100 हेक्टेयर फसलों का नुकसान होने का आकलन किया गया है.

सफेद सोना बना मिट्टी

जिले में 79 हजार 260 हेक्टेयर का पंचनामा अभी बाकी है. 91 हजार 370 हेक्टेयर कपास, 34 हजार 946 हेक्टेयर अरहर की फसल, 50 हेक्टेयर प्याज, 40 हेक्टेयर सुपारी, 9 हजार 879 हेक्टेयर चना, 515 हेक्टेयर गेहूं और 28 हजार 200 हेक्टेयर संतरे के बागों को नुकसान हुआ है. पहले सीजन में खेत कपास से सफेद थे, लेकिन मजदूरों के अभाव में कपास निकालना बंद हो गया था. इसके अलावा बेमौसम बारिश के कारण कपास भीग गई और सफेद सोना मिट्टी बन गया. हवा के झोंके से तुअर की फसल का फूल खेत में ही सड़ गया.

पखवाडे से पंचनामा करना बंद

पहले पटवारी, बाद में तहसीलदार व नायब तहसीलदार की हड़ताल के कारण पंचनामा रुका हुआ था. राज्य सरकार ने नुकसान का तत्काल पंचनामा करने का आदेश दिया है. एक पखवाड़ा हो गया. सरकार ने प्रभावित लोगों को राज्य आपदा प्रबंधन समिति के मानदंडों के अनुसार हेक्टेयर सहायता प्रदान करने का वादा किया है. हालांकि, पंचनामा रुकने के बाद से यह सवाल खड़ा हो गया है कि नुकसान की अंतिम रिपोर्ट कब सौंपी जाएगी और किसानों को मदद कब मिलेगी.