तलवेल. जिले के सभी तहसीलों में सोयाबीन की कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन लगातार हो रही बारिश के कारण अब कटाई भी प्रभावित हो रही है. जिससे इस वर्ष का सोयाबीन पूरी तरह से सड़ने के चलते अगले वर्ष-2021 में सोयाबीन के दाम दोगुने होने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि सालभर खेती का खर्च सोयाबीन के उत्पादन से निकाला जाता है. त्यौहारों के मुहाने आने वाली इस फसल को नगद फसल के रुप में भी जाना जाता है, लेकिन इस बार सोयाबीन की फसल सड़ने का असर वर्ष 2021 में दिखाई देंगा.
गुणवत्ता एवं मात्रा पर असर
अत्याधिक बारिश के कारण सोयाबीन की फसलें काली पड़ने लगी तो कहीं पर खेत में पड़ी फसलें अंकुरित भी होने लगी है. जो शेष बची है. उसमें भी गुणवत्ता एवं मात्रा पर असर होने वाला है. जिसके कारण भी अगले वर्ष सोयाबीन के बीजों के दाम दोगुने होने की संभावना है. फसल कोई भी रहे किसान उसे बुआई से लेकर कटाई तक अपने खेत में दिन रात एक कर जतन करता है, लेकिन इस वर्ष बारिश बुआई से लेकर कटाई तक झमाझम बरसती रही, जिससे किसानों को भी नियोजन करने विकल्प नहीं रहा. सोयाबीन की फल्लियां भरते समय भी अज्ञात बीमारी के प्रादुर्भाव से फल्लियां पूरी तरह से भरी नहीं. जिससे गुणवत्ता पर भी असर होने की संभावना है.
लागत खर्च भी नहीं निकलेगा
किसानों को सोयाबीन बुआई से कटाई तक प्रति एकड़ लगभग 11 हजार 610 रुपये खर्च आंका गया है. जिसमें बुआई के लिए खेत तैयार करने का खर्च नहीं है. बावजूद इसके सोयाबीन के उत्पादन में बड़े पैमाने पर हुई कमी के कारण लागत खर्च भी निकलना असंभव होने का चित्र है. गुरुवार से शुरू बारिश का पानी कटाई किये गये सोयाबीन के ढ़ेर में घूस जाने से काटकर रखा सोयाबीन भी काला पडने लगा. कपास के बोंड गलने लगे, संतरा टपकने लगे. उड़द, मूंग, तिल जैसे फसलें तो आंखों से देख भी नहीं पाये. बावजूद इसके अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में भी बारिश का जोर कायम रहने से किसान चिंता में डूबा है.