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प्रतीकात्मक तस्वीर

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औरंगाबाद : देश भर में चर्चा में आए औरंगाबाद के प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) घोटाला की आए दिन नए-नए परतें खुल रही है। महानगरपालिका प्रशासन द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आए कि पीएम आवास योजना का ठेका लेने के लिए जिन तीन कंपनियों ने निविदा भरी थी, उसमें जेग्वार ग्लोबल सर्विसेस ने कंपनी ने निविदा ही दाखिल न के बावजूद किसी ने उक्त कंपनी के फर्जी दस्तावेज (Fake Documents) पेश कर उक्त कंपनी की भी निविदा भरने की जानकारी सामने आयी है। महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) ने इस घोटाले मेें सामने आ रहे नए-नए कारनामों से पुलिस को अवगत करा दिया गया है। यह जानकारी महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिषेक चौधरी (Dr. Abhishek Chowdhary) ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी। 

उन्होंने बताया कि गत सप्ताह महानगरपालिका प्रशासन द्वारा पीएम आवास घोटाले को लेकर शहर के सिटी चौक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।  प्रशासन के शिकायत पर पुलिस ने समरथ कन्स्ट्रक्शन, इंडोग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस और जेग्वार ग्लोबल सर्विसेस नामक एजेंसियों के खिलाफ पीएम आवास योजना में घोटाला करने को लेकर मामला दर्ज किया। मामला दर्ज होने की भनक जेग्वार ग्लोबल सर्विसेस के संचालक को पता चलने पर उसने हाल ही में महानगरपालिका के संबंधित आला अधिकारियों से मुलाकात कर पीएम आवास योजना के लिए महानगरपालिका द्वारा जारी की गई निविदा में टेंडर ही  न भरने की जानकारी दी। बल्कि, निविदा दाखिल करने के लिए हमारे कंपनी के फर्जी दस्तावेज और फर्जी हस्ताक्षर के सहारे हमारे एजेंसी के नाम से निविदा भरी गई। कमिश्नर डॉ. अभिषेक चौधरी ने बताया कि जेग्वार ग्लोबल सर्विसेस के संचालक ने जब महानगरपालिका अधिकारियों से निविदा ही दाखिल न करने की जानकादी देने पर प्रशासन भी आश्चर्य चकित है। चौधरी ने बताया कि हमने सिटी चौक पुलिस को इससे अवगत कराया है। 

महानगरपालिका अधिकारियों का हो सकता आशीर्वाद

पीएम आवास योजना घोटाला उजागर होने के बाद जिस कंपनी ने इस योजना का ठेका लेने के लिए काले कारनामें किए है, इसकी सारी जानकारी महानगरपालिका के अधिकारियों था, परंतु उन्होंने भी इस पर नजर किए जाने का  शक सामने आ रहा है। इस पर महानगरपालिका कमिश्नर से सवाल पूछने पर उन्होंने इस सवाल को हंसते हुए टालते हुए कहा कि जांच में सब बात सामने आएगी। पीएम आवास योजना का जिस समरथ कन्स्ट्रक्शन कंपनी ने ठेका लिया था, उसके संचालक के अकड़ से खुद महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. चौधरी काफी खफा होने की चर्चा भी महानगरपालिका में जारी है। समरथ कन्स्ट्रक्शन कंपनी का संचालक महानगरपालिका प्रशासन के आला अधिकारियों के समक्ष यह दिखाने का प्रयास कर रहा था कि उसकी उपर लेवल तक  काफी पहुंच है। लेकिन, अब मामला दर्ज होने के बाद इस घोटाले में सारे काले कारनामें किए जाने की चर्चा महानगरपालिका में जारी है। 

बता दें  कि पीएम आवास योजना पर अमलीजामा पहनाने के लिए महानगरपालिका प्रशासन द्वारा अपनाई गई निविदा प्रक्रिया में घोटाले की शिकायत शहर के जनप्रतिनिधियों ने सरकार से की थी। जनप्रतिनिधियों के शिकायत पर राज्य सरकार ने गृहनिर्माण विभाग के अवर सचिव के अध्यक्षता में समिति नियुक्त कर जांच के आदेश दिए थे। उसके अनुसार अपर सचिव ने इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए दो उपसमितियां स्थापित की थी। इन उपसमितियों ने जांच कर गृहनिर्माण विभाग के अवर सचिव के पास रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के आधार पर नगर विकास विभाग ने निविदा प्रक्रिया में हुए घोटाला मामले में फौजदारी कार्रवाई करने के आदेश महानगरपालिका को दिए थे। उसके अनुसार निविदा प्रक्रिया में डेवलपरों ने रिंग कर सिंगल आईपी एंड्रेस से एक ही पोर्टेबल डिवाईस से तीनों निविदा दाखिल करने की जानकारी सामने आयी। इस मामले में कार्रवाई करने के लिए तज्ञ विधि तज्ञों के मार्गदर्शन लिया गया।  उससे निविदा मामले में फंसाने के मामले में तीनों कंपनियों के 19 संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामला दर्ज होते ही घबराकर जेग्वार ग्लोबल सर्विसेस के संचालक ने महानगरपालिका अधिकारियों से मुलाकात कर साफ किया कि उनके एजेंसी ने पीएम आवास योजना के लिए शहर महानगरपालिका द्वारा निकाली गई निविदा के बाद टेंडर ही नहीं भरा है। उधर शहर पुलिस ने इस घोटाले की जांच शुरु की है। जल्द ही इस घोटाले की सारी सच्चाई सामने आकर जिसने सारे फर्जी काम किए, उसका जेल जाना तय है। इधर, यह घोटाला सामने आने के बाद जिस समरथ कन्स्ट्रक्शन ने पीएम आवास योजना का ठेका लिया था, उक्त कंपनी द्वारा ही सारे फर्जी काम करने की चर्चा महानगरपालिका में जारी है। पुलिस जांच में जूटी है, जल्द ही इस घोटाले में जिस एजेंसी ठेका लेने के लिए काले कारनामे किए है, उसकी सच्चाई सामने आएगी।