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औरंगाबाद : पिछले कुछ महीने से औरंगाबाद के बहुचर्चित प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के लिए महानगरपालिका प्रशासन द्वारा अमलीजामा पहनाए गए निविदा प्रक्रिया घोटाले की हुई जांच के बाद एक रिपोर्ट मंत्रालय (Mantralaya) से ही ईडी कार्यालय (ED Office) को पेश की गई है। ईडी द्वारा शुरु की गई जांच को लेकर महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) से कोई पत्र व्यवहार मंत्रालय द्वारा नहीं हुआ। यह जानकारी महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी (Municipal Commissioner Dr. Abhijit Chowdhary) ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी। 

गौरतलब है कि गुरुवार की देर शाम महानगरपालिका क्षेत्र में अमलीजामा पहनाए जाने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना के टेंडर में हुए घोटाले पर महानगरपालिका की उपायुक्त अपर्णा थेटे के शिकायत पर तीन ठेकेदार कंपनियों सहित 19 मालिक और पार्टनरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।  प्रशासन ने अपने शिकायत में बताया कि एक ही लैपटॉप से तीनों कंपनियों द्वारा निविदाएं भरी गई। यह बात महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी द्वारा निविदा का बारिकी से अध्ययन करने के बाद सामने आई। विशेषकर, एक ही लैपटॉप से यह निविदा चार कंपनियों ने अपलोड किए थे। यह संपूर्ण टेंडर घोटाला उजागर होने के बाद गुरुवार की देर शाम तीन ठेकेदार कंपनियां समरथ कन्स्ट्रक्शन, इंडो ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस और जैग्वार ग्लोबल सर्विसेस कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। प्रशासन द्वारा उठाए गए सख्त कदम के बाद महानगरपालिका प्रशासन में हर एक कार्य में रिंग कर निविदा भरने वाले ठेकेदारों में खलबली मची है। 

पीएम आवास योजना घोटाला उजागर होने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी ने बताया कि पीएम आवास योजना के निविदा प्रक्रिया में हुए घोटाला मामले में केंद्र  सरकार और पीएम कार्यालय ने गंभीर दखल ली है। ईडी के अधिकारियों ने मेरे से संपर्क कर दस्तावेजे मांगने पर उन्हें साफ कहा कि मंत्रालय की नियमानुसार इजाजत लेकर उनसे रिपोर्ट की कॉपी और दस्तावेज ले। उसके बाद मंत्रालय से ईडी कार्यालय को जांच रिपोर्ट पहुंच चुकी है। ईडी कार्यालय ने आज तक इस घोटाले के बारे में किसी भी प्रकार का पत्रव्यवहार महानगरपालिका से नहीं किया है। 

जनप्रतिधियों की शिकायत पर सरकार ने गठित की थी समिति 

एक सवाल के जवाब में महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. चौधरी ने बताया कि पीएम आवास योजना पर अमलीजामा पहनाने के लिए महानगरपालिका प्रशासन द्वारा अपनाई गई निविदा प्रक्रिया में घोटाले की शिकायत शहर के जनप्रतिनिधियों ने सरकार से की थी। जनप्रतिनिधियों के शिकायत पर राज्य सरकार ने गृहनिर्माण विभाग के अवर सचिव के अध्यक्षता में समिति नियुक्त कर जांच के आदेश दिए थे। उसके अनुसार अपर सचिव ने इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए दो उपसमितियां स्थापित की थी। इन उपसमितियों ने जांच कर गृहनिर्माण विभाग के अवर सचिव के पास रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर नगर विकास विभाग ने इस रिपोर्ट के आधार पर निविदा प्रक्रिया में हुए घोटाला मामले में फौजदारी कार्रवाई करने के आदेश महानगरपालिका को दिए। उसके अनुसार निविदा प्रक्रिया में डेवलपरों ने रिंग कर सिंगल आईपी एंड्रेस से एक ही पोर्टेबल डिवाईस से तीनों निविदा दाखिल हुई। इस मामले में कार्रवाई करने के लिए तज्ञ विधि तज्ञों के मार्गदर्शन लिया गया। उससे निविदा मामले में फंसाने के मामले में तीनों कंपनियों के 19 संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज करने की जानकारी महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. चौधरी ने दी। 

तीनों कंपनियों के मल्टी स्टोरेज की होगी जांच

महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी ने बताया कि निविदा घोटाले में शामिल समरथ कन्स्ट्रक्शन, इंडो ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर चर सर्विसेस और जेग्वार ग्लोबल सर्विसेस इन ठेकेदार कंपनियों ने संयुक्त हिस्सेदारी में पुणे परिसर में निर्माण किए मल्टी स्टोरेज इमारत का जायजा लेने के लिए महानगरपालिका ने एक समिति गठित की है। यह समिति ठेकेदार ने निर्माण किए मल्टी स्टोरेज इमारत का पुणे पहुंचकर दौरा करेंगी, फिर उसके आधार पर एक रिपोर्ट पेश करेगी। रिपोर्ट के बाद उन तीनों कंपनियों को काली सूची में डालने की कार्रवाई की जाएगी।