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छत्रपति संभाजीनगर: नारेगांव (Naregaon) में स्थित बंद पड़े डंपिंग ग्राउंड और शहर परिसर में नए बने चार कचरा डिपो में पड़े करीब 10 लाख मेट्रिक टन कचरे पर बायोमायनिंग (Biomining process) की प्रक्रिया की जाएगी। उसके लिए राज्य सरकार ने मनपा प्रशासन को 66 करोड़ 69 लाख रुपए की निधि मंजूर की है। यह जानकारी मनपा के उपायुक्त (Deputy Municipal Commissioner) सोमनाथ जाधव (Somnath Jadhav) ने दी है।
 
 
उन्होंने बताया कि नारेगांव सहित हर्सूल, चिकलथाना, पडेगांव व कांचनवाडी के कचरा प्रक्रिया प्रकल्प में करीब 10 लाख मेट्रिक टन कचरा पड़ा है। इस कचरे पर बायोमायनिंग की प्रक्रिया करने के लिए जल्द ही निविदा प्रकाशित की जाएगी। साल भर में पूरा कचरा समाप्त होकर करीब 54 एकड़ जमीन खाली और साफ हो जाएगी जिस पर वर्तमान में कचरे के ढेर लगे है। 
 
 
यह जमीन करीब 65 एकड़ के करीब है। नारेगांव में 54 एकड़, पडेगांव में 7 एकड़, चिकलथाना में 1.5 एकड़, कांचनवाडी में  2.5 एकड, हर्सूल में 20 गुंठा जमीन शामिल है। यहां पड़े कचरे पर बायोमायनिंग प्रक्रिया पूरी की गई तो यह जमीन मनपा प्रशासन को इस्तेमाल को मिलेगी। उधर, बायोमायनिंग प्रक्रिया के बारे में उपायुक्त जाधव ने बताया कि प्रक्रिया करते समय गीला व सूखा कचरा अलग-अलग किया जाता है। 
 
गीले कचरे पर प्रक्रिया कर खाद का निर्माण किया जाता है। वहीं सूखे कचरे पर प्रक्रिया में रीसाइक्लिंग वाले पदार्थ अलग किए जाते हैं। बता दे कि सालों से पड़े कचरे के चलते नारेगांव व परिसर के 10 से 15 गांव के नागरिक परेशान थे। बीते कई सालों से इस परिसर के नागरिक नारेगांव का डंपिंग ग्राउंड हटाने के लिए आंदोलन कर रहे थे। 
 
परंतु मनपा प्रशासन यह डंपिंग ग्राउंड हटाने में टालमटोल कर रही थी। सन 2016 में परिसर के नागरिकों ने कड़ा आंदोलन किया। कचरा ढोने वाली गाड़ियों को कई दिनों तक रोके रखा जिसके बाद वह डिपो बंद हुआ।  उसी दौरान राज्य सरकार ने शहर में निर्माण कचरे की समस्या हल करने के लिए 148 करोड़ रुपए का डीपीआर मंजूर किया था। उसके बाद शहर के आस-पास चार कचरा डिपो का निर्माण किया गया। वहां बीते 5 से 6 सालों में लाखों टन कचरा जमा हो गया है। राज्य सरकार से निधि उपलब्ध होने के बाद अब उस कचरे पर बायो मायनिंग प्रक्रिया की जाएगी।