उद्यमी बिजली ग्राहकोंं का अनुदान पूर्ववत करने सीएमआयए ने लिखा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र

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    औरंगाबाद : मराठवाड़ा (Marathwada), विदर्भ (Vidarbha) और खानदेश (Khandesh) के औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगिक विकास (Industrial Development) को बढ़ावा देने के साथ-साथ क्षेत्र में औद्योगिक, सामाजिक और आर्थिक समृद्धि लाने के लिए, महाराष्ट्र राज्य सरकार (Maharashtra State Government) ने पात्र औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं को सब्सिडी की सन 2016 में घोषणा की थी। गत कुछ सालों से बंद रखी गई यह सहूलियत 23 अप्रैल 2022 को सरकार की ओर से जारी किए गए अधिसूचना के शर्तों के चलते मराठवाड़ा के ऊर्जा पर आधारित उद्योगों को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ सकता। उसका परिणाम यहां के निवेश और रोजगार पर भी पड़ सकता। इसलिए सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना को रदद कर, पहले की तरह ही यह योजना पूर्ववत करने की मांग चैंबर ऑफ मराठवाड़ा इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चर (सीएमआयए ) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उद्योग विभाग और ऊर्जा विभाग को भेजे पत्र में की।

    सीएमआयए की ओर से दिए गए पत्र में बताया गया कि राज्य सरकार ने योजना के लिए 1,200 करोड़ रुपए का अनुदान दिया था। राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई इस छूट को महावितरण द्वारा औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं को भुगतान किए गए बिजली बिल में शामिल किया गया था, जिसका लाभ मराठवाड़ा के उद्योगों को बड़े पैमाने पर मिला था। सरकार द्वारा लिए गए नए फैसले ने रियायती दरों पर कुछ सीमाएं लगा दी हैं। सीएम शिंदे को भेजे पत्र में सीएमआयए के अध्यक्ष नितिन गुप्ता और मानद सचिव अर्पित सावे ने बताया कि सहूलियतों में प्रस्तावित किए शर्ताे का परिणाम मराठवाड़ा में आनेवाले बड़े निवेश पर हो सकता। 

    बिजली दरों में रियायत ने उद्योगों को दिया बढ़ावा

    इस अवसर पर बोलते हुए सीएमआईए के अध्यक्ष नितिन गुप्ता ने कहा कि बिजली दरों में रियायत ने मराठवाड़ा में प्रसंस्करण उद्योग और इस्पात और अन्य उद्योगों को एक बड़ा बढ़ावा दिया है। ऊर्जा आधारित उद्योगों को बिजली के बिलों पर भारी खर्च करना पड़ता है। यह रियायत मिलने के बाद यहां के उद्योग का मुकाबला देश के बड़े उद्योगों से हो गया। उन्होंने कहा कि कई उद्योगों ने उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है और इससे यहां रोजगार में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि योजना में प्रस्तावित बदलाव मराठवाड़ा जैसे औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्र के लिए अन्यायपूर्ण हैं।

    कोविड काल में सरकार से नहीं मिली कोई मदद 

    देश और राज्य में कोविड-19 के प्रकोप के बाद की स्थिति का सामना करते हुए उद्यमी ने पिछले 2 वर्षों से उद्योग का पुनर्निर्माण शुरू कर दिया है और इस दौरान हुए नुकसान की भरपाई करने का प्रयास कर रहा है। यह सरकार को सौंपे गए विभिन्न कर आंकड़ों से स्पष्ट है। उद्योगपतियों ने कोविड-19 के दौरान या उसके बाद उद्योग की बिखरी हुई घड़ी के पुनर्निर्माण में राज्य सरकार से कोई अतिरिक्त अनुदान या सहायता नहीं मांगी है। बल्कि, संकट काल में राज्य सरकार को समय-समय पर मदद की। संकट से बाहर निकले उद्योगोंं को अपना उद्योग दुबारा पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार पूर्व में अस्तित्व वाले अनुदान को पूर्ववत करने की मांग सीएमआयए संस्था की ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उद्योग विभाग और ऊर्जा विभाग को भेजेे पत्र में की गई है। सीएमआयए के मानद सचिव अर्पित सावे ने कहा कि समय-समय पर हम सरकार को इस बारे में आगाह करते रहेंगे।