औरंगाबाद का नाम बदलने के खिलाफ MIM ने छत्रपति संभाजीनगर में निकाला कैंडल मार्च, सांसद जलील समेत 1500 लोगों पर केस दर्ज

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छत्रपति संभाजीनगर : हाल ही में राज्य सरकार (State Government) ने औरंगाबाद (Aurangabad) का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) करने को केंद्र सरकार से परमिशन मिलने के बाद मुहर लगाई है। इसके खिलाफ गत एक हफ्ते से जिला अधिकारी कार्यालय के सामने जिला नामांतर विरोधी कृति समिति के बैनर तले क्रमिक अनशन जारी है। इसी क्रम में गुरुवार की देर शाम जिले के सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jalil) के नेतृत्व में जिला अधिकारी कार्यालय से भडकल गेट परिसर में स्थित डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर की प्रतिमा तक कैंडल मार्च (Candle March) निकाला गया। कैंडल मार्च में हजारों लोगों ने हिस्सा लेकर सरकार के इस निर्णय का विरोध किया। उधर, शहर पुलिस ने कैंडल मार्च को परमिशन नहीं दी थी। इसको लेकर देर रात शहर के सिटी चौक पुलिस स्टेशन में सांसद जलील सहित 1500 लोगों पर जमावबंदी आदेश का उल्लघंन करने को लेकर मामला दर्ज किया गया है। 

देर शाम निकाले गए कैंडल मार्च को लेकर पुलिस का कड़ा पुलिस बंदोबस्त तैनात था। कैंडल मोर्चा आंबेडकर की प्रतिमा के पास पहुंचने पर सांसद जलील और कुछ नेताओं ने आंबेडकर की प्रतिमा को अभिवादन किया। मोर्च में किसी प्रकार की घोषणाएं नहीं दी गई। उसके बाद कैंडल मार्च में शामिल लोग जिला अधिकारी कार्यालय के सामने पहुंचे, जहां क्रमिक अनशन जारी है। तब वहां जमा हजारों लोगों को सांसद जलील ने संबोधित किया।

लोकतंत्र मार्ग से जारी है आंदोलन 

कैंडल मार्च के समापन के बाद क्रमिक अनशन स्थल पर जमी भीड़ को संबोधित करते हुए सांसद जलील ने कहा कि डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर ने संविधान में किसी भी मामले में विरोध करने का अधिकार दिया है। कुछ सत्ताधारी और विरोधी दल के नेता मुझ पर और आंदोलन कारियों पर अपशब्दों का इस्तेमाल कर पुलिस के माध्यम से हमें डराने और धमकाने का प्रयास कर रहे है। कैंडल मार्च न निकले इसलिए मुझ पर खुब दबाव डाला गया। परंतु हम लोकतंत्र के मार्ग से आंदोलन कर रहे है। उन्होंने विधान परिषद की उपसभापति निलम गोरे द्वारा सांसद जलील पर एमपीडीए के तहत कार्रवाई करने की गई चेताते हुए कहा कि मैं कोई गुंडा नहीं हूं। आपने गंदी राजनीति करने के लिए क्या क्या खेल खेले है, मुझे पता है। उन्होंने अपने भाषण में करीब 13 वर्ष पूर्व पुणे में बसों को पथराव करने व आगजनी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए उध्दव ठाकरे की शिवसेना के वरिष्ठ नेता व  एक महिला नेता  के  बीच हुए बातचीत का हवाल देते हुए कहा कि इस मामले में पुणे के बंड पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। बाद में इस मामले की फाइल बंद कर दी गई। वह आवाज किस महिला की थी, मुझे पता है। यह कहकर उन्होंने निलम गोरे पर निशाना साधा। उन्होंने शहर के पश्चिम के विधायक संजय सिरसाठ द्वारा औरंगजेब की कब्र हैदराबाद शिफ्ट करने के दिए बयान की भी खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि कब्र शिफ्ट करने की शायद सिरसाठ को तकनीकी पता है। वह सबको यह तकनीक दिखाए ताकि हम भी उसका इस्तेमाल कर अन्य शहरों में स्थित कब्रे यहां ला सके। उन्होंने सिरसाठ पर पलटवार करते हुए कहा कि वे सत्ता में शामिल होने के बाद भी उन्हें मंत्री पद नहीं मिल रहा है, इसलिए वे बौखलाए गए है। मंत्री पद नहीं मिल रहा है तो क्या हम जिम्मेदार है? यह सवाल भी कर उन्होंने सिरसाठ की खिल्ली उड़ाई। 

जलील सहित 1500 लोगों पर मामला दर्ज 

उधर शहर में जमावबंदी आदेश लागू है। जिला नामांतर विरोधी कृति समिति ने कैंडल मार्च निकालने के लिए पुलिस से परमिशन मांगी थी। परंतु पुलिस ने परमिशन नहीं दी। इसके बावजूद हजार नागरिक रास्ते पर उतरे और उन्होंने कैंडल मार्च में हिस्सा लिया। शहर पुलिस ने जमावबंदी आदेश का उल्लघंन करने को लेकर सांसद जलील सहित 1500 लोगों पर मामला दर्ज किया है। इसमें प्रमुख रुप से सांसद जलील के अलावा समिति के संयोजक अयुब जहांगिरदार, महफुज उर रहमान फारुकी, आरेफ हुसैनी, फेरोज खान, नासेर सिददीकी, मोहम्मद समीर बिल्डर, शकुर सालार, शाहरेक नक् शबंदी, कुणाल खरात, प्रांतोष वाघमारे,  गंगाधर ढगे, गाजी सादोदीन, सलीम सहारा, वाजीद जहांगिरदार, काकासाहाब काकडे, रफिक चिता, जमीर कादरी, मुंशी पटेल, रफत यार खान, नुसरत अली खान, हाशम चाउस, अबुल हसन हाशमी, परवेज अहमद, शोएब अहमद सहित 1500 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।