Budget 2022: Announced to develop new products for Railways, small farmers, MSMEs
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

    Loading

    औरंगाबाद : देश की वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को लोकसभा में आगामी आर्थिक वर्ष (Financial Year) के लिए बजट (Budget) पेश किया। बजट पर शिवसेना, एमआईएम, कांग्रेस (Shiv Sena, MIM, Congress) के जनप्रतिनिधियों (Public Representatives) और नेताओं (Leaders) ने मिली जुली प्रतिक्रिया देते हुए बजट पर कई सवाल उठाए। वहीं, भाजपा विधायक अतुल सावे ने केंद्र के बजट को मध्यमवर्गिय, किसानों और उद्योजकों के हित का बताया।

    जिले के सांसद इम्तियाज जलील ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आयकर स्लैब में कुछ सहुलियतों की अपेक्षा करने वाले नौकरी पेशा  लोगों के लिए बड़ी निराशा हाथ लगी है। क्योंकि, वहीं लोग कर तत्काल भरते है। महंगाई से दबे हुए बजट से पेट्रोलियम पदार्थ और गैस सिलेंडर की कीमते कम कर आम आदमी को राहत देने के बजाए पॉलिश हिरे और जवारत के लिए सीमाशुल्क कम कर देश के अमीर लोगों खुश किया है। सांसद जलील ने कहा कि कोरोना काल में  व्यवसाय, उद्योग और आम जनता का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। ऐसे में मंंगलवार को पेश किए बजट से इन लोगों को बड़ी राहत मिलने के आसार थे। वहीं, सरकार निजीकरण की योजनाओं बढ़ावा दे रही है, ऐसे में 60 लाख लोगों को नौकरियों कहां से मिलेंगी ? इस पर सांसद जलील ने सवाल उठाया।

    देश के लोग जीएसटी प्राथमिकता से भरते है

    उधर, शिवसेना के जिला प्रमुख और  विधायक अंबादास दानवे ने कहा कि साल 2022 तक किसानों का उत्पन्न दुगुना करने का भाजपा का संकल्प आज के बजट के  भाषण में कहीं दिखाई नहीं दिया। किसानों को लेकर भाजपा का प्रेम एक दिखावा है, यह फिर एक बार साबित हुआ है। गत वर्ष किसान आंदोलन के माध्यम से जनता का उमड़ा गुस्सा यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार के नीतियों पर आम आदमी खुश नहीं है। देश के लोग जीएसटी प्राथमिकता से भरते है। यह बात जीएसटी से प्राप्त हो रही रकम से साफ हुई है। लेकिन, उसका लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। देश में महंगाई आसमान छु रही है। महंगाई कम करने के लिए केंद्र सरकार ने किसी प्रकार की पहल नहीं की।

    60 लाख लोगों को नौकरियों मिलेंगी

    इधर, औरंगाबाद  पूर्व के भाजपा के विधायक अतुल सावे ने केंद्र की बजट की सराहना करते हुए कहा कि आज का बजट देश को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने में कारगर साबित होगा। आम आदमी, किसान, उद्योजक सबको राहत देने वाला बजट है। स्टार्ट अप के लिए साल 2023 तक कर में सहुलियत मिली है। इससे बेहतर स्टार्ट अप आएंगे। वहीं, पेंशन के माध्यम से इनकम कर मुक्त किया है। इलेक्ट्रीकल कारों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार ने बजट में जोर दिया है। ताकि, पेट्रोलियम पदार्थों की विक्री कम हो सके। आत्मनिर्भर  के अंतर्गत 16 लाख और मेक इन इंडिया के तहत 60 लाख लोगों को नौकरियों मिलेंगी। सामान्य जनता के लिए सरकार ने  महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए  बजट में बड़े पैमाने पर राहत दी है। उद्योजकों को राहत देते हुए सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स 18 से 15 प्रतिशत किया है। वहीं, 10 करोड़  के बाद टैक्स लगेगा। इसका फायदा मध्यम और लघु उद्योग को होगा। अंत में सावे ने कहा कि बजट में लघु उद्योजकों को 2 लाख करोड़ का कर्ज देने का वादा केंद्र सरकार ने  किया है। एक तरह से आज का बजट देश के सभी वर्गों के लिए फायदेमंद होने का दावा विधायक अतुल सावे ने किया।

    विकास का ‘भ्रम’ पैदा करने वाला बजट

    वहीं, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव डॉ. जितेन्द्र देहाडे ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गत 6 साल से केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पेश किए जा रहे बजट से आम आदमी के हाथ निराशा लगी है। गत दो साल से देश की जनता कोरोना महामारी का मुकाबला कर रही है। जिसके चलते देश की जनता आर्थिक परेशानियों से जुझ रही है। मंगलवार को पेश किए बजट में आम आदमी को कई राहत मिलने के आसार थे। लेकिन, इस बजट से किसी प्रकार की राहत जनता को नहीं मिली। महिला और  युवकों के लिए अपेक्षित किसी प्रकार के निर्णय नहीं लिए गए। विकास का ‘भ्रम’ पैदा करने वाला बजट।

    ऑनलाइन’ शिक्षा कैसे प्रदान कर सकती है ?

    मराठवाड़ा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के एनसीपी विधायक सतीश चव्हाण ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज पेश किया गया बजट विकास का ‘भ्रम’ पैदा करने वाला है। आम जनता, किसान, मजदूर वर्ग, उद्यमी, बेरोजगार, छात्र आदि इस बजट से पूरी तरह निराश हैं। कोरोना महामारी के दौरान हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बचाने वाले कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए एक ठोस कार्य योजना की आवश्यकता थी। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि वह 60 लाख नई नौकरियां देंगे। निजीकरण की राह पर चल रही केंद्र सरकार बयानबाजी में सिर्फ ‘विकास दर’ दिखाती है। पिछले दो साल से कोरोना की वजह से मुश्किलों का सामना कर रहे छोटे उद्यमियों को इस बजट से काफी उम्मीदें थीं। भले ही केंद्र सरकार का कहना है कि वह छात्रों को ‘ऑनलाइन’ शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगी, लेकिन कुछ गांवों में, जहां आज भी साधारण बिजली टांडा तक नहीं पहुंच पाती है, वह ‘ऑनलाइन’ शिक्षा कैसे प्रदान कर सकती है ?