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    औरंगाबाद : प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत शहर के बाहरी इलाकों में 325 स्क्वायर फीट (Square Feet) का फ्लैट (Flat) पाने के लिए शहर के गरीब परिवारों को करीब 11 से 12 लाख रुपए अदा करने होंग। तब जाकर उनके घर का सपना पूरा होगा। इसके लिए सरकार से चरण-चरण में ढाई लाख रुपए की मदद मिलेगी। परंतु उसके बाद गरीब परिवार से 7 से 8 लाख रुपए की राशि कहां से अदा करेंगा? इसको लेकर कई सवाल उभर रहे है। ऐसे में औरंगाबाद में पीएम आवास योजना राम भरोसे ही पूरी होने के आसार है। 

    केंद्र सरकार द्वारा पीएम आवास योजना में करोड़ों गरीब परिवारों को देश भर में घर दिए जाने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। परंतु औरंगाबाद में यह योजना सालों से अधर में लटकी हुई है। वर्तमान महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी पीएम आवास योजना को पूरा करने के कार्य में जूटे जरुर हैं, परंतु इस योजना का लाभ क्या शहर के गरीब नागरिक ले पाएंगे? इसको लेकर खुद महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. चौधरी भी पसोपेश में है। गत वर्ष फरवरी महीने में संसद के अधिवेशन में सांसद इम्तियाज जलील ने पीएम आवास योजना अधर में लटकने को लेकर संसद में आवाज उठाने के बाद जिला प्रशासन जागा और फिर जिला प्रशासन द्वारा आनन फानन में हर्सूल, चिकलथाना, पडेगांव और तिसगांव में पीएम आवास योजना के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई। इसमें चिकलथाना और हर्सूल परिसर अतिक्रमित होने से वहां पीएम आवास योजना के प्रकल्प पूरा होना असंभव है। अब प्रशासन ने पडेगांव और तिसगांव में पीएम आवास योजना के तहत गरीब और जरूरतमंदों के घर का सपना पूरा करने के लिए नियोजन शुरु किया है। 

    12 लाख रुपए कैसे अदा करेंगे गरीब परिवार 

    केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को कम दाम में घर का सपना पूरा करने का ढिंढोरा तो बड़े जोर और शोर से पीटा जा रहा है। लेकिन, औरंगाबाद में बीते कुछ सालों से यह योजना अधर में लटकी पड़ी है। प्रशासन गत 8 महीने से इस योजना का काम शुरु करने के प्रयासों में जूटा है। योजना के लिए पडेगांव में इमारतों का निर्माण करने का ठेका समरथ कंस्ट्रक्शन को दिया गया है। इस एजेंसी को प्रशासन द्वारा 4 हजार रुपए प्रति स्केवेयर फिट के हिसाब से काम करने का ठेका दिया गया। यह दाम भी सभी को आश्चर्यचकित करने वाला है। आज मार्केट मूल्य में बेहतर से बेहतर काम करने पर 1400 से 1500 रुपए प्रति स्क्वायर फीट घर के निर्माण का खर्च आता है। फिर समरथ कंस्ट्रक्शन को 4 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट से घरों के निर्माण का ठेका कैसे दिया गया? यह अचंबित करने वाला सवाल है। 

    निर्माण कार्य का दाम कम करने प्रशासन करेंगा ठेकेदार से बातचीत 

    उधर, पत्रकारों से बातचीत करते हुए महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी ने बताया कि पडेगांव में पीएम आवास योजना के तहत निर्माण किए जाने वाले घरों का ठेका जिस समरथ कंस्ट्रक्शन को दिया गया है, उससे दाम कम करने को लेकर प्रशासन निगोशिएबल करेगा। दाम कम करने के लिए महानगरपालिका कमिश्नर ने शहर अभियंता के अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया है। समिति म्हाडा द्वारा निर्माण पर खर्च की जाने वाली राशि का भी जायला लेगी। अब सवाल यह उठता है कि समरथ कंस्ट्रक्शन को ठेका देते समय 4 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट दाम प्रशासन ने कैसे तय किया? इसका जवाब तो महानगरपालिका कमिश्नर के पास नहीं था। जिला प्रशासन ने पीएम आवास योजना के लिए जमीन तो मुफ्त में उपलब्ध कराई है। योजना में एक परिवार को 325 स्क्वायर फीट तक का फ्लैट मिलेंगा। उक्त एरिया के निर्माण के लिए बाजार मूल्य के अनुसार चार से सवा चार लाख रुपए खर्च हो सकते। तो फिर हर गरीब परिवार से 12 लाख रुपए क्यों वसूलने का नियेाजन किया जा रहा है? इसका जवाब भी प्रशासन के पास नहीं है। 

    जनता में योजना को लेकर अधिक जागृति की जरूरत

    पीएम आवास योजना के तहत शहर के हर गरीब परिवार आज भी यह समझ रहे है कि हमें मुफ्त में घर मिल रहा है। जबकि, हकीकत कुछ और है। पहले तो प्रशासन के गलतियों से यह योजना 6-7 सालों से अधर लटकी हुई है। योजना में पडेगांव क्षेत्र में निर्माण किए जाने वाले इमारतों का काम जिस समरथ कंस्ट्रक्शन को दिया गया। उसे प्रशासन ने 4 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट से काम दिया। जो बाजार मूल्य से करीब तीन गुना अधिक है। योजना में सिर्फ 325 स्क्वायर फीट का फ्लैट पाने के लिए गरीब परिवारों को 8 से 10 लाख रुपए अधिक खर्च करने होंगे। तब जाकर ही उनका खुद के मकान का सपना पूरा हो पाएगा। योजना का लाभ पाने के लिए जो परिवार आवेदन कर चुके है, उनके लिए बची हुई राशि अदा करना बहुत मुश्किल साबित होगा। ऐसे में यह योजना राम भरोसे ही पूरी होने के आसार है। बल्कि, खुद महानगरपालिका कमिश्नर भी इस योजना में कितने घरों का निर्माण किया जाए इसको लेकर पसोपेश में है।  इन सारे परिस्थितियों से यह साफ है कि औरंगाबाद में पीएम आवास योजना राम भरोसे ही पूरी हो पाएगी। वरना, यह योजना औरंगाबाद के गरीब परिवारों के लिए सिर्फ सपना ही रह जाएगी।