औरंगाबाद : गत सप्ताह राज्य की तत्कालीन ठाकरे सरकार ने औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम संभाजीनगर (Sambhajinagar) करने का प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव का विरोध (Protest) कर कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए जिले के सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jalil) ने एक बैठक का आयोजन किया था। बैठक में शहर के इतिहास तज्ञ, महान विचारक, कानूनी तज्ञ, वरिष्ठ नामवंत, सुज्ञ नागरिक, सामाजिक संस्था, विविध, राजनीति दल और संगठनाओं के पदाधिकारियों ने हाजिरी लगाकर नामांतरण के विरोध में विविध मुद्दों पर चर्चा कर सभी ने मिलकर विविध स्तर पर लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया।
बैैठक में नामांतरण पर लंबी चर्चा कर कुछ प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित किए गए। इनमें कहा गया कि औरंगाबाद शहर को महाराष्ट्र की पर्यटन की राजधानी के रुप में पूरे विश्व में पहचाना जाता है। शहर का इतिहास और परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। उसके साथ ही सभी समाज के आम नागरिकों के भावनाएं जुड़ी हुई है। राज्य का औरंगाबाद जिला एक ऐतिहासिक जिला है। यह विश्व दर्ज के पर्यटन स्थले और तिर्थ स्थले है। हम सबको संभाजी महाराज का काफी आदर है। सिर्फ राजनीति के लिए उनके नाम का इस्तेमाल राजनीतिक दलें कर रहे है।
An all party meeting was called by MP Imtiaz Jaleel regarding the name change of Aurangabad. Leaders from all across came together to protect the name of our historical city of Aurangabad@asadowaisi @imtiaz_jaleel pic.twitter.com/sDyMZSk9pb
— amar binhydra (@amar_binhydra) July 5, 2022
जनता को विकास के मुद्दे से भटकाने के लिए लिया गया निर्णय
बैठक में हुई चर्चा में यह आरोप लगाया गया कि जनता को विकास के मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए शहर का नाम बदलने का निर्णय तत्कालीन ठाकरे सरकार ने आनन-फानन में लिया। इस निर्णय को विविध स्तर पर विरोध करने के लिए शहर के इतिहास तज्ञ, महान विचारक, कानूनी तज्ञ, वरिष्ठ नामवंत, सुज्ञ नागरिक, सामाजिक संस्था, विविध राजनीतिक दल, संगठनाओं के पदाधिकारियों ने अपनी सूचनाएं रखी। उसके बाद सर्व सम्मति से औरंगाबाद के नामांतरण का विरोध विविध स्तर पर करने का प्रस्ताव पारित किया गया। सांसद जलील ने कहा कि औरंगाबाद का नाम बदलने से शहर का विकास नहीं होगा। पूरे विश्व में औरंगाबाद की पहचान हो चुकी है। ऐसे में उसका नाम बदलने से औरंगाबाद की पहचान ही मिट जाएगी। बैठक में मोहसीन अहमद, पूर्व मेयर रशीद मामू, गौतम खरात,महेन्द्र सोनवने, इतिहास तज्ञ डॉ. शेख रमजान, हाफिज खान, अजमल खान, शेख जिआ अहमद, मसिओददीन सिददीकी, महेश तांबे, मोहम्मद रियाज अन्सारी, मुख्तार रशीद शेख, शेख फेराज, मिर हिदायत अली, अयुब जहांगिरदार, निसार कुरैशी, डॉ. गफार कादरी, कॉ. अश्फाक सलामी, डॉ. फिरोज खान, किशोर थोरात, एड. सैयद अकरम, डॉ. कुणाल गौतम खरात, एजाज अली जैदी, नासेर सिददीकी, मो. अब्दुल जब्बार, अतुल तांबे, गाजी सादोददीन प्रमुख रुप से उपस्थित थे।