In Maharashtra, 65 people died in just 9 months in wild animal attacks, 23 tigers died in 6 months, the state government said
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    • बादशाहत की जंग में हुआ जख्मी
    •  भूख से हुई मौत, प्राथमिक संभावना 

    भंडारा. तुमसर तहसील के बपेरा में नहर में बाघ का शव बरामद किया गया था. बाघ के शव का 1 अप्रैल को  राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की मानक प्रक्रिया के अनुसार पोस्टमार्टम किया गया. जिसमें प्राथमिक अनुमान लगाया कि बादशाहत की जंग में कमजोर पडने की वजह से उसकी मृत्यु हुई. यद्यपि इस मामले में विस्तृत जांच की जानकारी भंडारा उप वनसंरक्षक कार्यालय ने दी है.

    जिस समय पोस्टमार्टम किया गया. प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) महाराष्ट्र राज्य नागपूर के प्रतिनिधि नदीम खान, शाहिद खान, पशुधन विकास अधिकारी साकोली डॉ. गुणवंत भडके ,पशुधन विकास अधिकारी मानेगाव बाजार, डॉ. विठ्ठल हटवार ,पशुधन विकास अधिकारी  डॉ. पंकज कापगते, पशुधन विकास अधिकारी खापा डॉ. जितेंद्र गोस्वामी ,पशुधन विकास अधिकारी हरदोली, डॉ. एस सी टेकाम , उपवनसंरक्षक भंडारा  राहुल गवई, विभागीय वन अधिकारी दक्षता   प्रितम सिंग कोडापे , प्रकाष्ठ निष्कासन अधिकारी साकेत शेंडे ,सहाय्यक वनसंरक्षक( रोहयो व वन्यजीव)   यशवंत नागुलवार ,वनपरिक्षेत्र अधिकारी नाका डोंगरी   मनोज मोहिते , वनपरिक्षेत्र अधिकारी  संजय मेंढे उपस्थित थे.

    प्राथमिक अनुमान

    राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की मानक प्रक्रिया के अनुसार  चिंचोली के सरकारी डिपो में पोस्टमार्टम किया गया.  पैनल के समक्ष मृत बाघ की बाहरी जांच एवं शव परीक्षण किया गया. बाघ के शरीर पर चोट के निशान मिले. बाघ के जबड़े के नीचे एक दांत आंशिक रूप से टूटा हुआ पाया गया. दाहिना पैर चोट थी. जबकि  बाघ के सभी अंग,  उसकी मूंछें एवं दांत, बरकरार पाए गए. पोस्टमार्टम में बाघ का पेट खाली पाया गया. 

    भूख से मृत्यु हो गई

    उल्लेखनीय है कि परिसर में  अन्य नर बाघ भी घूमते हैं. यह क्षेत्र पेंच टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग भी है. मृत बाघ दो साल से कम उम्र का है. संभवत: अपनी टेरिटरी की तलाश में घूम रहा था. जिसमें स्थानीय बाघ के साथ संघर्ष हुआ. जिससे वह गंभीर रूप से घायल हुआ. गंभीर जख्मी होने से वह भोजन का जुगाड़ नहीं कर सका एवं उसे  भूख से मृत्यु हो गई.

    होगी विस्तृत जांच

    बाघ के आंतरिक अंगों के नमूने आगे की जांच के लिए नागपुर में फोरेंसिक चिकित्सा प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं.  वन विभाग द्वारा अन्य संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है. फील्ड स्टाफ द्वारा इलाके की विस्तृत जांच की जा रही है.मामले की जांच उप वन संरक्षक नाका डोंगरी एवं सहायक वन संरक्षक एवं गडेगांव डिपो द्वारा उप वन संरक्षक एवं मुख्य वन संरक्षक नागपुर  रंगनाथ नाइकडे के मार्गदर्शन में की जा रही है.