उच्चतम जलस्तर बनाए रखते हुए पानी की निकासी; सैटेलाइट मैपिंग भी पूरी हुई, बैकवाटर आफत से मिलेगी राहत

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    भंडारा. गोसीखुर्द प्रकल्प में 245.500 मीटर स्तर पर पानी रोकने के बाद जल विस्तार हुए क्षेत्र की सेटेलाइट मैपिंग पूरी कराई गई है. सर्वेक्षण कार्य पूरा होने के पश्चात 2 फरवरी से 160 क्यूमेक्स पानी को बांधी की तराई में बने जलविद्युत प्रकल्प के लिए छोडन आरंभ किया गया. इससे अनुमान है कि बैकवाटर की समस्या का सामना कर रहे क्षेत्र के लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है.

    वक्त बिता, तोआंकड़े भी बदल गए

    वर्ष 1983 में भूमिपूजन हुए गोसीखुर्द के लिए पूर्व सर्वेक्षण करीब 1981 से प्रारंभ हुआ था. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य यही रहता है कि प्रकल्प के पूरा होने के पश्चात जल विस्तार कितने क्षेत्र को प्रभावित करेगा. इसी जुटाए गए डेटा के आधार पर पुनर्वास की योजना बनी. लेकिन चूंकि प्रकल्प बनने में लंबा समय बीत गया. फलस्वरूप अब जब प्रकल्प में 245.500 मीटर स्तर पर पानी रोका गया. पानी उस क्षेत्र में फैल गया जहां पर अनुमान नहीं जताया गया था. यानी जैसे जैसे वक्त बितता गया. पूर्व सर्वेक्षण में जुटाए गए आंकड़े पुराने हो गए. नदी किनारे जमीन का उपयोग, गांवों को नदी किनारों तक विस्तार, नदी एवं गोसीखुर्द जलाशय में गार इकठ्ठा होने से जल विस्तार होता गया.

    क्यों कराई गई सैटेलाइट मैपिंग

    नवंबर महीने में जल 245.500 के स्तर पर जल संक्रमण के लिए काम शुरू किया गया. बैकवाटर ने मानो कहर ढा दिया. नदी किनारे बनी श्मशानभूमि, खेत से लेकर घर जलमग्न हो गए. भंडारा शहर यह सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था. यह कारण था कि जल विस्तार के प्रभावित क्षेत्र के आंकड़े इकट्ठा करने के लिए सैटेलाइट मैपिंग कराई गई. गोसीखुर्द जलाशय की सैटेलाइट मैपिंग एमआरएसएसी द्वारा पूरी कर ली गई है. गोसीखुर्द बांध विभाग में कार्यकारी अभियंता ने अधिकृत तौर पर घोषणा की है कि सैटेलाइट मैपिंग पूरी कराई गई है.

    पानी छोडना हुआ प्रारंभ

    गोसीखुर्द बांध विभाग में कार्यकारी अभियंता कार्यालय सूत्रों के अनुसार 245.500 मीटर के स्तर पर पानी रोकने के पश्चात सैटेलाइट मैपिंग पूरा होने के बाद 160 क्यूमेक्स पानी को बांधी की तराई में बने 24 मेगावाट जलविद्युत प्रकल्प के लिए छोडा जाना आरंभ किया गया. इससे अनुमान है कि बैकवाटर की समस्या का सामना कर रहे क्षेत्र के लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है.

    अगले ढाई साल तक आफत नहीं

    सूत्रों ने बताया कि जब अब एक बार सैटेलाइट मैपिंग कर लिया गया है. संपादित किए गए भूमि के अलावा भूमि चिन्हांकित किए जाने के बाद अब जब आगे की कार्रवाई एवं नए सिरे से भूसंपादित कार्रवाई की जाएगी. जिससे अब अगले ढाई से तीन साल तक पानी के खतरे का सामना नहीं करना पडेगा.

    भंडारा में डेंजर लेवल से ऊपर था पानी

    भंडारा में खतरे का स्तर 245 मीटर है. बैकवाटर ने यह स्तर पार कर लिया था. इस वजह से अब पानी छोडने के निर्णय से बड़ी राहत मिल सकती है.