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    मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट से राणा दंपत्ति को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने दर्ज एफआईआर को रद्द करने के खिलाफ दायर याचिक को ख़ारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि, “जितनी बड़ी पवार उतनी बड़ी जिम्मेदारी होती है।” वहीं सांसद नवनीत राणा के पत्र पर लोकसभा सचिवालय ने महाराष्ट्र पुलिस से गिरफ्तारी को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। 

    अदालत ने राणा दंपती को फटकार लगते हुए कहा कि, राजनीति में, जब माननीय सदस्य जिम्मेदार मंत्री या अधिकार में हों, तो उन्हें दूसरों का मान-सम्मान, आदर रख कर बोलना चाहिए। लेकिन हमारे बार-बार इंजेक्शन लगाने के बावजूद हमें कोई असर नहीं दिखता। इसलिए हम अब उन्हें कोई आदेश नहीं देंगे। 

    ज्ञात हो कि, अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके पति निर्दलीय विधायक रवि राणा ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी निवास के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया था। जिसको लेकर मुंबई पुलिस ने दंपत्ति को गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान दोनों पर अलग-अलग दो एफआईआर की गई। पहले में जहां समुदाय के बीच द्वेष पैदा करने,सहित देशद्रोह की धारा के तहत मामला दर्ज किया था। वहीं दूसरे में  सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने को लेकर किया गया। इसी को लेकर राणा दंपत्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर दोनों एफआईआर को एक करने की मांग की थी। 

    लोकसभा सचिवालय ने मांगी स्टेट्स रिपोर्ट

    सांसद नवनीत राणा ने पुलिस के दौरान की गई बदसुलूकी को लेकर लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है। जिसपर संज्ञान लेते हुए लोकसभा सचिवालय ने 24 घंटे के अंदर महाराष्ट्र सरकार से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है। शनिवार को लिखे अपने पत्र में नवनीत राणा ने लिखा कि मुझे 23 तारीख को पुलिस स्टेशन ले जाया गया।  23 अप्रैल को मुझे पूरी रात पुलिस स्टेशन में ही गुजारनी पड़ी।  रात को मैंने कई बार पीने के लिए पानी मांगा, लेकिन रातभर मुझे पानी नहीं दिया गया।”

    नवनीत ने आगे बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि, “मौके पर मौजूद पुलिस स्टाफ ने कहा कि मैं अनुसूचित जाति की हूं, इसलिए वह मुझे उसी ग्लास में पानी नहीं दे सकते, जिसमें वे लोग पीते हैं। मतलब मुझे मेरी जाति की वजह से पीने के लिए पानी तक नहीं दिया गया। मैं यह जोर देकर कहना चाहती हूं कि मेरी जाति की वजह से मुझे बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा गया।” नवनीत आगे कहती हैं कि, “मुझे रात को बाथरूम जाना था, लेकिन पुलिस स्टाफ ने मेरी इस मांग पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। फिर मुझे गाली दी गई। कहा गया कि नीची जात वालों को वे (पुलिस स्टाफ) अपना बाथरूम इस्तेमाल नहीं करने देते हैं। “