कैसे स्कूल चले हम

खामगांव. पढ़ाई के लिए ग्रामीण इलाकों के छात्रों को जान खतरे में डालकर बस की छत पर बैठकर शहर के स्कूलों में जाने के लिए मजबूर हैं. खामगांव डिपो की बस नंबर एमएच ४० एन ९६६६ यह कवडगांव से खामगांव की ओर

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खामगांव. पढ़ाई के लिए ग्रामीण इलाकों के छात्रों को जान खतरे में डालकर बस की छत पर बैठकर शहर के स्कूलों में जाने के लिए मजबूर हैं. खामगांव डिपो की बस नंबर एमएच ४० एन ९६६६ यह कवडगांव से खामगांव की ओर आ रही थी. इस बस की छत पर छात्र सवार थे.

ग्रामीण क्षेत्र से शहर में पढ़ने के लिए रोजाना सैकड़ों छात्र एसटी बस व्दारा आते हैं. ग्रामीण इलाके में ज्यादा बसेस नहीं चलती. इसलिए छात्रों को बस में भीड़ होने पर बस की छत पर बैठकर यात्रा करनी पड़ती है. एसटी महामंडल की ओर ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा बसेस चलाने की मांग किए जाने पर भी अनदेखी की जाती है. उलटा डिपो प्रमुख ने ग्रामीण क्षेत्र की कई बसों की फेरियां यात्री की कमी होने का कारण बताकर बंद कर दी. किंâतु इससे छात्रों को असुविधा हो रही है.