
- किसानों की मेहनत पर पानी फिरा
दुर्गापुर: 70 वर्षो से भी ज्यादा समय से वरवट गांववासियों द्वारा जंगल जमीन पर खेती करते आ रहे हैं, उक्त जमीन को खाली करवाने के लिए वन अधिकारियों की उपस्थिति में 20-25 वनकमियों का एक दल शनिवार को यहां पहुँचा. एक जे सी बी व 6 ट्रैक्टर के साथ पहुँचे वन विभाग के दल ने अतिक्रमण हटाना शुरू किया. जैसे ही किसानों को मालूम चला, तेजी से उस जगह पहुँचे जहाँ पर जेसीबी अपना काम मे लगी थी. किसानों ने एक साथ मिलकर वन विभाग ही इस कार्रवाही को आखिरकार रूकवा दिया. इससे यहां किसानों में काफी तनावपूर्ण स्थिति निर्माण हो गई थी.
यहां से 12 किलोमीटर दूर वरवट गांव के वासी खेती कर अपना जीवन यापन करते है. इस गांव में मूलतः किसान और मजदूर ही रहा करते हैं. गांव से कुछ ही दूर पर जंगल सटा हुआ है. गांव से लगे जंगल से पेड़ पौधे कम हुए तो किसानों के पूर्वजो ने खुली जमीन पर खेती शुरू कर दी थी जो कि आज भी उनके संताने खेती कर रहे है. इतने वर्षों से खेती करते आने के कारण उन्हें किसी ने अब तक नहीं रोका था.
गाँव के एक किसान नारायण जुमड़े ने बताया कि जब यह क्षेत्र मध्यप्रदेश में आता था तब से ही हमारे पिता और दादा उस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं. मध्यप्रदेश से जब महाराष्ट्र बना तब भी खेती करने में हमे दिक्कतें नहीं हुई. 2019 में वन विभाग की ओर से खेती छोड़ने का नोटिस आया तब हमलोंगो ने उसका उचित जवाब दिया.
उसके बाद शनिवार के सुबह अचानक वन विभाग की ओर से लाव लश्कर आया खेतों के बीच बने बांध को तोड़ना शुरू कर दिया, जो कि गलत है.किसानों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार कोई जमीन पर 12 वर्ष तक कब्जा हो जाता है तो वह जमीन कब्जा धारक का हो जाता है. जबकि हम सब 70 वर्षो से खेती करते आ रहे हैं.
जानकारी अनुसार वरवट बस्ती में वन विभाग के जमीन पर 52 किसानों ने लगभग 200 एकड़ जमीन पर सात दशक से खेती करते आ रहे है. ऐसे में अचानक आकर कब्जा छिनने का प्रयास करना अनुचित है.