लॉकडाउन : सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रहीं धज्जियां

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चंद्रपुर. देश में लगभग 3 माह लॉकडाउन लागू होने के बाद पिछले दिनों कुछ शिथिलता दी गई. इसके बाद शहर व जिले का बाजार खुला, लेकिन इतने दिनों बाद भी कारोबार में पहले जैसी रौनक नहीं लौट पाई है. लॉकडाउन के असर से एसटी बसेस, ट्रैवल्स, आटो चालक जैसे व्यवसाय अब भी बाहर नहीं निकल पाए हैं. लोग आर्थिक संकट में होने से खरीददारी करने में वे झिझक रहे हैं. यही कारण है कि अधिकतर व्यवसाय संकट के दौर से गुजर रहे हैं. प्रशासन द्वारा कोरोना से बचाव के लिए लोगों को बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क, सैनिटाइजर के इस्तेमाल की हिदायत दी जा रही है. किंतु लोगों पर इसका असर होता नजर नहीं आ रहा.

50 प्रश घटना व्यापार
व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उनका कारोबार 50 प्रश घट चुका है. इससे उबरने में काफी समय लग सकता है. समाज का हर वर्ग इस समय आर्थिक मंदी को झेलता हुआ नजर आ रहा है. लॉकडाउन मार्च माह के अंतिम सप्ताह में लगाया गया था. अप्रैल व मई में इसे काफी सख्ती से लागू किया गया. जिससे सभी कारोबार ठप पड़ गए थे. जिससे काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा. जून माह में धीरे-धीरे लॉकडाउन अनलॉक किया गया. जिले में दूकानें व बाजार लगभग पूरी तरह खुल चुका है, लेकिन कारोबार अब भी प्रभावित है.

खरीददारी से बच रहे लोग

व्यापारियों ने बताया कि लोग बड़ी संख्या में बाहर तो निकल रहे हैं, लेकिन खरीददारी से बच रहे हैं. इस समय वे केवल जीवनावश्यक वस्तुओं की खरीददारी पर ही ध्यान देते नजर आ रहे हैं. अन्य व्यवसायियों को ग्राहकों की प्रतीक्षा है. दूकानें शुरू करने के बाद भी दिन भर भूले-भटके एक-दो ग्राहक दूकान में पहुंच रहे हैं. जिससे खर्च तक नहीं निकल पा रहा है. कपड़े, ज्वेलर्स, बर्तन, अन्य गृहसज्जा से लेकर इलेक्ट्रानिक उत्पाद की खरीदी न के बराबर है. रेस्टारेंट, होटल खुले तो हैं, लेकिन केवल पार्सल सेवा शुरू होने से उनका कारोबार भी प्रभावित है. यही हाल मंगल कार्यालय, लॉन का है. शादी समारोह से जुड़े अन्य व्यवसाय तो लगभग ठप पड़े हैं. उन्हें जबरदस्त घाटा उठाना पड़ रहा है.

ST नहीं निकाल पा रही डीजल का खर्च
परिवहन के मामले में केवल अंतर जिला एसटी बसेस चल रही हैं. बस स्टैंड पर यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, परंतु बस में केवल 22 यात्रियों को ही अनुमति के चलते रापनि डीजल का भी खर्च नहीं निकल पा रही है. रापनि इससे अधिक घाटा उठाकर बस चलाने के मुड में नहीं है. निजी ट्रैवल्स संचालकों के तो बुरे दिन है. यह व्यवसाय तो पूरी तरह बंद है. सिनेमाघर, माल्स, जिम अब भी नहीं खुल पाए हैं. जो दूकानें खुल रही हैं, उन्हें भी शाम 5 बजे तक ही अनुमति है. सलून व्यवसायी भी लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए हैं. अब दूकान का किराया कैसे देना यह उनके सामने समस्या है.

सीजन में नहीं हुई बिक्री
धार्मिक स्थलों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं है. मस्जिदों में भी केवल 5 लोगों को ही नमाज पढ़ने की अनुमति होने से लोग घरों में नमाज अदा कर रहे हैं. उद्यान, पर्यटन स्थल पूरी तरह से बंद है. हालांकि 1 जुलाई से ताड़ोबा प्रकल्प के बफर जोन में सफारी शुरू करने की तैयारी प्रशासन कर रहा है. लेकिन इसे पर्यटकों का कितना रिस्पांस मिलता है, यह देखना होगा. अंतर जिला यातायात बंद है, जिसका असर पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर हो रहा है. गर्मियों के 4 महीनों में एसी, कूलर, फ्रीज, आइस्क्रीम आदि की बिक्री लॉकडाउन की भेंट चढ़ गई.