बारिश के अभाव में मुरझाएं किसानों के चेहरे, जोताई के साथ ही बुआई में होगा विलंब

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    गड़चिरोली. मृग नक्षत्र के पहले दिन बारिश आने के बाद धान की बुआई करने की आंस लगानेवाले किसानों की निराशा हुई है. अबतक बारिश नहीं होने से खेत जोताई नहीं हुई है. मात्र सिंचाई की सुविधा होनेवाले किसान खेत जोताई के साथ ही बुआई के कार्य भी प्रारंभ कर दिए है. मात्र यहां सुविधाओं का अभाव है, वहां बारिश के बगैर बुआई करना असंभव है. जिससे खेत जोताई के साथ ही बुआई के काय्र में विलंब होने की बात कहीं जा रही है. 

    बिते कुछ दिनों से सुबह व शाम के दौरान सुरज व बादल के खले में तेज हवाएं चलती है. अब बारिश होगी, ऐसा लगता है. कुछ समय में ही आसमान में छाए बादल विलुप्त हो जाते है. रोहिणी को बारिश का नक्षत्र नहीं माना जाता है. किंतू इस नक्षत्र में होनेवाली पहली बारिश से किसान खेत जोताई के कार्य में जुट जाते है. आगे कुछ दिन में आनेवाले मृग नक्षत्र के बारिश से धान की बुआई करना सुलभ होता है. इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र सुखा गया.

    मृग नक्षत्र शुरू हुए 4 से 5 दिनों का समय बित चुका है. किंतू अबतक बारिश का इंतजार कायम है. जबतक मृग नक्षत्र की बारिश नहीं होती या पहली बारिश नहीं होती तबतक खेत की जोताई नहीं की जाती है. इस वर्ष भी यहीं स्थिती है. इस वर्ष बारिश की प्रतिक्षा किसानों की चिंता बढा रही है. पहली बारिश होने पर खेत जोताई व बुआई के कार्य में गति आनेवाली है. 

    बिते वर्ष मृग नक्षत्र में बरसे थे मेघ 

    बिते निरंतर दोनों वर्ष मृग नक्षत्र में समय पर बारिश हुई थी. बिते वर्ष तो बारिश ने कहर ही किया. इस दौरान निरंतर बारिश होती रही. तब किसान बारिश थमने व खेत जोताई व बुआई का इंतजार करने लगे थे. किंतू वर्ष मृग नक्षत्र के 4 से 5 दिन बितने के बावजूद बारिश का इंतजार कायम है. 

    सुविधायुक्त किसानों ने शुरू की बुआई 

    देसाईगंज तहसील के विसोरा समेत अनेक परिसर में सिंचाई की सुविधा होनेवाले किसानों ने अपने खेतों में खेत जोताई तथा बुआई के कार्य शुरू की गई है. सिंचाई सुविधा होनेवाले अनेक किसान आधुनिक तकनिक का उपयोग करते हुए धान की बुआई कर रहे है. मात्र जहां सुविधाओं का अभाव है, ऐसे किसानों की निगाहें आसमान पर टिकी हुई हे.