Korlavasi Village

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सिरोंचा. भले ही सरकार मेक इन इंडिया का नारा देते हुए देश के आखरी छोर पर बसे लोगों का विकास करने की बात कह रही है. लेकिन राज्य के आखरी छोर पर बसे गड़चिरोली जिले के दुर्गम क्षेत्र के हालांत कुछ और बयां कर रहे है. जिले के दुर्गम क्षेत्र में आजादी के सात दशक बाद भी विकास की गंगा नहीं पहुंच पायी है. जिसके कारण इस क्षेत्र के नागरिक बुनियादी सुविधाओं के लिये तरसते नजर आ रहे है. ऐसा ही एक मामला सिरोंचा तहसील के आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसे कोर्ला गांव में सामने आया है.

इस गांव में पहुंचने के लिये अब तक पक्की सड़क नहीं बनने के कारण गांव में अब तक कोई वाहन नहीं पहुंचा है. वहीं नदी नालों पर पुलिया नहीं बनने से लोगों को बरसात के दिनों में जानलेवा सफर करना पड़ रहा है. लेकिन इस गांव के नागरिकों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिये जनप्रतिनिधि और प्रशसन अनदेखी करने से अपनी बदहाली पर रोये या किस्मत को कोसे? ऐसा सवाल इस गांव के नागरिकोंं उपस्थित किया है. 

आदिवासियों का विकास केवल कागजों पर 

एक तरफ सरकार आदिवासी समुदाय का विकास करने के लिये विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं कार्यान्वित की है. इनता ही नहीं बल्कि आदिवासी समाज का नेतृत्व करने के लिये सांसद और विधायक भी चुने जाते है. लेकिन आदिवासियों का विकास करने के नाम पर चुने गये सांसद और विधायक इस समाज के विकास की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दे पाते. जिसका खामियाजा पिछले अनेक वर्षो से यह समुदाय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. वहीं सरकार द्वारा चलाई जानेवाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं समाज के नागरिकों तक नहीं पहुंच पाने के कारण आदिवासी समुदाय का विकास केवल कागजों पर दिखाई दे रहा है. 

जिला निर्माण होने के बाद भी स्थिति जैसे थे 

वर्ष 1982 में चंद्रपुर जिलेे से गड़चिरोली का विभाजन कर स्वतंत्र गड़चिरोली जिला निर्माण किया गया. विशेषत: यह जिला पुरी तरह आदिवासी बहुल होने के कारण इस जिले में एक सांसद और तीन विधायक यह आदिवासी समुदाय से ही चुने जाते है. लेकिन अब जिला निर्माण होकर 39 वर्षो की कालावधि बित जाने के बावजूद भी इस जिले के आदिवासी समुदाय का विकास आवश्यकता नुसार नहीं हो पाया है. आज भी ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के आदिवासी नागरिक सड़क, नदी, नालों पर पुलिया के अभाव में जानलेवा सफर कर रहे है. जिससे सरकार व  प्रशासन के प्रति आदिवासी नागरिकों में तीव्र नाराजगी व्यक्त की जा रही है.