Gondia Demand for merger of eight villages in Madhya Pradesh

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गोंदिया.  आमगांव नगर परिषद पर पिछले 8 वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है. जिसका सीधा असर क्षेत्र के विकास कार्यों पर पड़ रहा है व अनेक शासकीय योजनाओं का लाभ यहां के नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है. इससे त्रस्त होकर आमगांव नगर परिषद संघर्ष समिति के अंतर्गत सर्वदलीय नेताओं व नागरिकों ने तहसीलदार मानसी पाटील के माध्यम से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाम ज्ञापन सौंपकर राज्य सरकार से गोंदिया जिले के आमगांव तहसील के आमगांव, बनगांव, किडंगीपार, माल्ही, पदमपुर, कुंभारटोली, बिरसी, रिसामा इन  आठ ग्रामों के निवासियों को न्याय नहीं दिला सकती तो इन सभी ग्रामों का समावेश सीमावर्ती मध्यप्रदेश राज्य में कर दिया जाए अथवा इस क्षेत्र को केंद्र शासित क्षेत्र घोषित कर दिए जाए ऐसी मांग की है. 

उल्लेखनीय है कि  आमगांव तहसील के आमगांव, बनगांव, किडंगीपार, माल्ही, पदमपुर, कुंभारटोली, बिरसी, रिसामा यह   आठ ग्राम महाराष्ट्र राज्य के गोंदिया जिले में है. इन गांवों की कुल जनसंख्या लगभग 40 हजार है. पहले वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने सभी तहसील मुख्यालयों को नगर पंचायत का दर्जा दिया था.

जिसके बाद आमगांव तहसील मुख्यालय की ग्राम पंचायत नगर पंचायत में परिवर्तित हो गई थी व कामकाज शुरू हो गया था. इसके बाद स्थानीय लोगों की मांग पर राज्य सरकार ने आठ ग्रामों को मिलाकर आमगांव नगर परिषद का गठन करने की अधिकसूचना जारी की व नगर परिषद की वार्ड रचना के साथ ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी.

इसी बीच कुछ लोगों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में राज्य सरकार की नगर परिषद गठन की अधिसूचना को चुनौती देते हुए याचिका दायर की तथा केवल आमगांव को नगर पंचायत व आमगांव नगर परिषद में शामिल किए गए सभी ग्रामों को पहले की तरह ही ग्राम पंचायत बनाए रखने की मांग की. सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की नगर परिषद गठन की अधिसूचना रद‍्द कर कर दी व पूर्व की स्थिति बहाल करने के निर्देश दिए.

इस निर्देश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित चल रहा है. मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण राज्य सरकार नगर परिषद का कामकाज प्रशासक के भरोसे चला रही है. वर्ष 2014 के बाद से इन ग्रामों में कोई स्थानीय स्वराज संस्था के चुनाव नहीं हुए है. इस बीच राज्य में दो सरकारे बदल गई लेकिन आमगांव नगर परिषद के भविष्य का फैसला नहीं हो सका.

इससे त्रस्त होकर सर्वदलीय प्रतिनिधियों व नागरिकों ने मुख्यमंत्री से मांग की कि या तो इस मामले का निपटारा करवाकर यहां सामान्य स्थिति बहाल की जाए अथवा उपरोक्त सभी 8 ग्रामों को मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया जाए. ताकि क्षेत्र का विकास हो सके. प्रतिनिधि मंडल में रवि क्षीरसागर, यशवंत मानकर, संजय बहेकर, उत्तम नंदेश्वर, रितेश चुट, मुन्ना गवली, विजय नागपुरे, महेश उके, राहुल चुटे, प्रभादेवी उपराडे, जगदीश चुटे, बालू वंजारी, पिंकेश शेंडे, इकबाल पठान, चंदन बावने, आनंद भावे, घनश्याम मेंढे, चीनू मेश्राम, विक्की बावने, आदित्य मेश्राम, शुभम कावले, रामदास गायधने, तुषार चचाणे सहित अन्य कार्यकर्ताओं का समावेश था.