गोंदिया. जिले में चार दिनों के पूर्व हुई बेमौसम बारिश से शासकीय खरीदी केंद्रों पर खुले में पड़े धान के बोरों में पानी घूस गया जिससे धान भीग गया और उसमें अंकुर निकल गए. अब भीगे व अंकुरीत धान लेने से केंद्र पर इंकार किया जा रहा है. इन खरीदी केंद्रों की मनमानी कार्यशैली से किसान बड़ी चिंता में है.
वहीं बड़ी संख्या में किसान संकट में फंस गए है. जिले में मार्केटिंग फेडरेशन व आदिवासी विकास महामंडल के माध्यम से धान खरीदी केंद्र शुरू है लेकिन बेमौसम बारिश का सामना करने के लिए इन केंद्रों पर कोई भी व्यवस्था नहीं कराई जाती है. अनेक दिनों से केंद्रों पर खुले में धान रखा गया है.
नियोजन नहीं होने से अनेक दिनों तक धान की गिनती नहीं हो रही है. जिससे धान भीग रहा है. चार दिन के पूर्व हुई बारिश ने बोरे से जमीन पर गिरे धान में अंकुर निकल गए है. बड़े परिश्रम से उत्पादित किए धान को खराब होते देख किसानों में तीव्र असंतोष है. शासकीय केंद्रों पर मोटे धान सहित बारीक धान की आवक बढ़ी है. ऐसे में धान रखने के लिए उचित व समतल जगह नहीं मिलने से उस जगह पर बोरे रखे जा रहे हैं.
कभी बारदाने का अभाव तो कभी नैसर्गिक कारणों से केंद्र बंद रहने पर धान खरीदी में विलंब हो रहा है. 15 दिनों से किसानों के धान खरीदी बिना खुले में पड़े हैं. बोरे को ढकने के लिए ताड़पत्री नहीं दी जाती. जिससे किसानों के हाल बेहाल है. खरीदी केंद्रों पर धान की तत्काल खरीदी कर किसानों को न्याय दिया जाए ऐसी मांग जोर पकडऩे लगी है.
सुविधा उपलब्ध करा दें
केंद्रों पर बारिश से धान के बोरों का बचाव करने के लिए कोई भी उपाय योजना नहीं है. वहीं किसान अपने धान बचाने का प्रयास करते है. फिर भी जोरदार बारिश व ओले गिरने से केंद्रों पर धान का बड़ा नुकसान हो गया है. बेमौसम बारिश व धान खरीदी केंद्रों की समस्या सामने होने के बावजूद शासन इस समस्या की ओर दुर्लक्ष कर रहा है. इतना ही नहीं किसानों ने धान खरीदी केंद्रों पर पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है.