छात्रों के लिए खतरनाक बना अधूरा निर्माण कार्य, जिप शहीद जान्या-तिम्या प्रवेश द्वार पर दुर्घटनाओं का खतरा

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    गोरेगांव. शहीद जान्या-तिम्या जिला परिषद शाला के प्रवेश द्वार पर बढ़ता हुआ यातायात विद्यार्थीयों के लिए खतरा बना हुआ है. यहां राष्ट्रीय महामार्ग के अधूरे निर्माण कार्य से विद्यार्थी सुरक्षित नहीं है.  शाला की छुट्टी होने पर शाला से विद्यार्थियों को बाहर निकलते समय भारी यातायात का सामना इन विद्यार्थियों को करना पड़ रहा है.

    यह नजारा प्रतिदिन जिप शहीद जान्या-तिम्या शाला के प्रवेश द्वार पर देखा जा सकता है. लेकिन संबंधित विभाग के साथ  ही शाला मुख्याध्यापक इस विषय पर ध्यान नहीं दे रहे है. विद्यार्थियों की सुरक्षा के मद्देनजर कोई भी पुलिसकर्मी की तैनाती नहीं दिखाई दे रही है और ना ही शाला की ओर से ऐसी कोई भी व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई है. ऐसे में विद्यार्थियों के उपर दुर्घटनाओं का खतरा मंडरा रहा है.

    उल्लेखनीय है कि शहर में स्थित शहीद जान्या-तिन्या जिला परिषद शाला तहसील की प्रमुख शालाओं में से एक है. जहां शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शिक्षा लेने यहां आते हैं. लेकिन राष्ट्रीय महामार्ग निर्माण कार्य के चलते यहां छात्रों के सुरक्षा पर सवालियां निशान लगा हुआ है. गोरेगांव से गोंदिया अधूरा निर्माण कार्य एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है. जगह-जगह पड़ा वेस्ट मटेरियल साथ ही सड़क किनारे बिखरी मिट्टी जिसमें दोनों ओर से बढ़ता हुआ यातायात विद्यार्थियों के लिए खतरा बन गया है.

    जानकारी के अनुसार जिला परिषद शहीद‌ जान्या-तिम्या शाला का मुख्य प्रवेश द्वार निर्माण कार्य शुरू होने से पहले मार्ग से काफी दूरी पर स्थित था. जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कम हुआ करता था. लेकिन आज की स्थिति बिल्कुल विपरित है. यहां निर्माण कार्य के बाद शाला का प्रवेश द्वार मार्ग के बिल्कुल करीब आ गया है.

    ऐसे में यहां दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ गया है. शाला से छुट्टी होने पर विद्यार्थियों को भारी यातायात के बीच से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में यहां इन विद्यार्थियों के सुरक्षा के मद्देनजर ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है. पुलिस विभाग सहित शाला मुख्याध्यापक द्वारा किसी भी कर्मचारी की तैनाती यहां नहीं है.

    इस विषय पर अनदेखी से किसी अप्रिय घटना का कारण बन सकती हैं. जबकि इसके पूर्व शाला मुख्याध्यापक द्वारा विषय को गंभीरता से लिया जाता था जिसमें छुट्टी होते ही मुख्य प्रवेश द्वार पर एक शिक्षक की तैनाती हुआ करती थी ताकि विद्यार्थी आराम से सड़क पार कर सके. लेकिन अब यहां ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है. जबकि पहले के मुकाबले अब  खतरा और बढ़ गया है. ऐसे में पुलिस विभाग व शाला व्यवस्थापन को इस विषय पर जल्द से जल्द ध्यान केंद्रीत करने की आवश्यकता है. जिसकी मांग पालकों द्वारा की जा रही है.