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    मुंबई: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (Chanda Kochar) और पति दीपक कोचर (Deepak Kochar) की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार (09 जनवरी) तक अपने आदेश को सुरक्षित रखा है। अदालत में शुक्रवार (06 जनवरी) को CBI की ओर से जवाब दाखिल किया गया। 

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, उसके फैसले का कोचर दंपति के परिवार में होने वाली शादी कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है। न्यायालय ने कहा कि, “हम चंदा और दीपक कोचर के बेटे की शादी के आधार पर फैसला नहीं करने जा रहे हैं, जो 15 जनवरी को होने वाली है। हम इस मामले को मेरिट के आधार पर तय करने जा रहे हैं।”

    चंदा कोचर के वकील ने कहा 

    वहीं, पूर्व सीईओ के वकील ने कहा कि, “अगर सीबीआई को दिसंबर 2022 तक गिरफ्तारी की जरूरत महसूस नहीं हुई तो फिर किस बात ने उन्हें अब गिरफ्तार करने के लिए प्रेरित किया। CRPC की धारा 41-A कहती है कि अगर कोई व्यक्ति इस धारा के तहत एजेंसी द्वारा जारी नोटिस की शर्तों का पालन करना जारी रखता है, तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। अहम सवाल यह है कि क्या 41ए का पालन किया गया।” वहीं, उन्होंने अदालत से कोचर दंपति की अंतरिम रिहाई की मांग की है। 

    चंदा के वकील ने आगे कहा, “01 नवंबर को चंदा ने स्वेच्छा से सीबीआई को एक ईमेल भेजा कि वह आने और सब कुछ समझाने के लिए तैयार है। उन्हें एक हफ्ते तक कोई जवाब नहीं मिला, फिर उन्होंने सीबीआई अधिकारी को कॉल किया और पूछा कि वह कब आकर मामले को पूरा एक्सप्लेन कर सकती हैं? साल 2019, 2020 और 2021 में केस में कुछ नहीं हुआ। 2022 में चंदा को जून में नोटिस मिला था जिसमें जुलाई में पेश होने को कहा था।”

    वकील अमित देसाई ने कहा कि, ‘चंदा ने सीबीआई को पत्र लिखकर हाजिरी की तारीख टालने की मांग की थी और सीबीआई मान गई थी। इससे यह साफ है की उनकी तरफ से कोई असहयोग नहीं था। अगले 05 महीने तक केस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और फिर सीबीआई ने सीधे कोचर दंपति को दिसंबर 2022 में पेश होने को कहा। 23 दिसंबर को लापरवाही से पूछताछ की गई और दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया।’

    देसाई ने यह भी कहा, “कानून कहता है कि महिला को महिला अधिकारी को ही गिरफ्तार करना होता है लेकिन, चंदा को मामले के पुरुष जांच अधिकारी ने गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने अपनी 14 दिन की पुलिस कस्टडी भी पूरी नहीं की। अगर किसी गंभीर जांच या पूछताछ की जरूरत होती तो सीबीआई कुछ और दिनों के लिए उनकी हिरासत मांग सकती थी। दिसंबर 2022 में चंदा ने इस उम्मीद में अपने स्पष्टीकरण के लिखित नोट लिए कि एजेंसी उससे क्या जानना चाहेगी?”

    वकील ने कहा, “चंदा एक बैंकर थीं और उनके पति अपना बिजनेस चला रहे थे। पहले दिन से ही चंदा की स्थिति यह है कि उनका उनके पति के कारोबार से कोई लेना-देना नहीं था। वह अपने काम पर फोकस कर रही थीं। उन्हें अपने पति से जुड़े किसी भी कारोबारी लेन-देन की जानकारी नहीं थी। उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए ईडी के कारण बताओ नोटिस का 50 पन्नों का जवाब दाखिल किया।” 

    कोचर के अधिवक्ता ने कहा, “मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रही ईडी ने चंदा कोचर के 14 बार बयान दर्ज किए। ये बयान 210 पेज से ज्यादा के थे। चंदा की तरफ से 800 से अधिक पन्नों के दस्तावेज उपलब्ध कराए गए और इधर सीबीआई कह रही है कि उसे गिरफ्तार करना पड़ा क्योंकि वह सहयोग नहीं कर रही थी और अस्पष्ट जवाब दे रही थी।”

    जानें सीबीआई ने क्या कहा?

    वहीं, कोचर दंपति की और से वकीलों के दलीलों के जवाब देते हुए सीबीआई की और से पेश हुए एडवोकेट राजा ठाकरे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्नब गोस्वामी के ऑर्डर का हवाला दिया। ठाकरे ने कहा, “बचाव पक्ष ने सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी तक दाखिल नहीं की और सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 41ए में यह नहीं कहा गया है कि अरेस्ट मेमो में अनिवार्य रूप से गिरफ्तारी के आधार का उल्लेख होना चाहिए।” कोर्ट में उन्होंने बताया कि, मामले की जांच अभी जारी है।

    सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा, “सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट को बताया कि उन्हें जुलाई 2021 में प्रीवेन्शन ऑफ करप्शन की धारा 17ए के तहत कॉम्पिटेंट अथॉरिटी से सेंक्शन पत्र मिला था। एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी, जिससे पता चलता है कि कॉम्पिटेंट अथॉरिटी से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी।”