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IAS Officer Idzes A. Kundan

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आनंद मिश्रा@नवभारत

  •  बेटियां भी आगे बढ़ाती हैं परिवार और खानदान की विरासत को- कुंदन

मुंबई. खुद महिला अधिकारी होकर महिला कल्याण हेतु कई स्कीम लाकर जितना काम 1996 बैच की आईएएस अधिकारी इडजेस ए. कुंदन (Idzes A. Kundan) ने किया है, उतना शायद ही किसी ने किया होगा। लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के महिला और बाल विकास विभाग (DWCD) में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए उन्होंने घरेलू हिंसा और बाल विवाह को रोकने लिए पूरी टीम को एक्टिव रखा। इस दौरान उन्होंने महिला कल्याण के लिए कई बड़े फैसले लिए. वह लद्दाख से आने वाली पहली आईएएस महिला हैं। वर्तमान में माइनॉरिटी डिपार्टमेंट में प्रिंसिपल सेक्रेटरी पोस्टेड कुंदन इससे पहले बीएमसी, अमरावती सहित 3 कारपोरेशन की कमान संभाल चुकी हैं, जहाँ पुरुष अधिकारियों का बोलबाला था। अपने फैसले पर अडिग रहने वाले और नारी सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल कुंदन का मानना है कि देश का विकास तभी संभव हो सकेगा जब देश की नारियों को उनका वाजिब हक़ मिलेगा। नवरात्रि के इस मौके पर के प्रतिनिधि आनंद मिश्र ने उनके बात की। पेश है मुख्य अंश: 

सबसे पहले यह बताइए कि आईएएस बनने का ख्याल कब और कैसे आया ?

मेरे पापा भी एक आईएएस ऑफिसर थे और उनके जैसा बनकर उनके पदचिन्हों पर चलना चाहती थी। इसलिए मैंने 7वीं क्लास में ही पापा से आईएएस बनने का वादा कर दिया था। मुझे लगता है कि मेरा आईएएस बनना इस बात को स्वयं सिद्ध करता है कि परिवार की विरासत को बेटियां भी आगे ले जा सकती हैं।  

महिला सशक्तिकरण के लिए क्या किया जाना चाहिए ?

मेरे हिसाब से वुमन एम्पॉवरमेंट का उद्देश्य हासिल करने के दो अप्रोच हो सकते हैं। पहला इसके लिए सरकार क्या कर सकती है और दूसरा समाज का महिलाओं के प्रति माइंडसेट कैसे बदल सकता है। सरकार इस ओर से अपना शत प्रतिशत दे रही है। ‘बेटी बचाओ- बेटी पढाओ’ जैसे कई अभियानों की सफलता के बाद आने वाले दिनों में ऐसी कुछ और स्कीम आ सकती है। अच्छी बात यह है कि सभी सरकारें ‘सशक्त नारी-विकसित भारत’ के अपने कमिटमेंट पर कायम हैं।   

ज्यादा से ज्यादा महिलाएं किस तरह से देश के विकास में सहभागी हो सकती हैं ?

जब बच्चियों और महिलाओं को सेफ एनवायरमेंट मिलेगा तो उनकी मोबिलिटी बढ़ेगी और जब मोबिलिटी बढ़ेगी तो उनकी सहभागिता बढ़ेगी जो हर हाल में देश हित में होगा। इसलिए वुमन-फ्रेंडली सिस्टम क्रिएट करने पर हमारा फोकस रहा है। सरकारी अनुमान बताते हैं कि फ़िलहाल कुल वर्कफोर्स में 27% महिलाएं हैं। अगर यह आंकड़ा 27 से बढ़कर 50% हो जाये तो जीडीपी का ग्रोथ 42% तक बढ़ सकता है और 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का टारगेट हासिल करना आसान हो जायेगा। 

महिला और बाल विकास विभाग में पोस्टिंग के दौरान आपने क्या-क्या कदम उठाये ?

लॉकडाउन का दौर महिलाओं और बच्चों के लिए काफी मुश्किल भरा रहा। बच्चों के बाल विवाह होने और घरेलू हिंसा के केसेस ज्यादा सामने आने लगे थे। मैंने अपनी टीम को अलर्ट किया। इस दौरान हमारी टीम ने पुलिस के प्रयासों से लगभग 1000 बाल विवाह रोका और लगभग 100 एफआईआर दर्ज कराये गए। इसके लिए डब्ल्यूसीडी ने डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट, चाइल्ड-लाइन और फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे कि आंगनवाड़ी वर्करों, अधिकारियों और पुलिस से तालमेल स्थापित किया।

इसी दौरान मैंने यह भी सुनिश्चित किया कि बाल संगोपन योजना का लाभ लाभार्थियों को बिना किसी परेशानी के मिले और इसके लिए समुचित बजट का भी भी इंतजाम किया। इसके अलावा, डीपीडीसी के तहत आवंटित हर जिले के लिए बजट का 3% हिस्सा महिला बाल के लिए रिज़र्व करने का कैबिनेट का फैसला मेरे कार्यकाल में लिया गया था। बच्चों के बाल विवाह रोकने सम्बन्धी कानून में बदलाव भी मैंने कराया। इन सबके अतिरिक्त, ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं के लिए हमने ‘माइग्रेट ट्रैकिंग सिस्टम’ डेवलप किया जिससे महिलाओं और उनके परिवार के लोगों का एक जिले से दूसरे जिले में जाने के रुझानों के बारे में पता चला। 

माइनॉरिटी डिपार्टमेंट में फ़िलहाल आप सुधारों को कैसे आगे बढ़ा रही हैं ?

फ़िलहाल हमारा प्रयास है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को क्वालिटेटिव एजुकेशन मिले। इसके लिए कोशिश की जा रही है कि बच्चों को मजहबी तालीम से साथ साथ फॉर्मल एजुकेशन भी मिले ताकि उन्हें रोजगारपरक शिक्षा भी दिया जा सके। हम कोशिश कर रहे हैं कि मदरसों को किसी न किसी बोर्ड से जोड़ें। इसके लिए हमने वक्फ बोर्ड से संपर्क में हैं।