Jayshree Mahajan

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वाहिद काकर @नवभारत 
जलगांव: पूर्व महापौर जयश्री महाजन ने भाजपा के मंत्री गिरीश महाजन तथा विधायक सुरेश भोले पर निशाना साधते हुए कहा कि दो पंचवर्षीय चुनाव में भाजपा ने विकास के नाम पर जिला वासियों को झूठे आश्वासन देकर वोट हासिल कर सत्ता प्राप्त की थी। भाजपा अब विकास का एजेंडा भूल गई है। नगर में गरीब परिवारों को तीन सौ वर्ग फिट मकानों का निकाय टेक्स फ्री नहीं किया है। वहीं नगर वासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा है। उन्होंने मंत्री और विधायक गिरीश महाजन से गुहार लगाई है कि विधानसभा का अंतिम बजट सत्र में जलगांव महानगर को विकसित करने के लिए भरपूर मात्रा में अनुदान निधि मंजूर कराए। 

दो बार जनता ने किया भरोसा 
युवाओं तथा महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विस्तारित एमआईडीसी को मान्यता प्रदान कर नए उद्योग धंधे कारखाने स्थापित कर रोजगार उपलब्ध कराए। महामार्ग की दोनों दिशा में फॉर लेन कार्य अधर में है। कॉलिंका माता से तरसोद इसी तरह खोटे नगर से पालधी तक फोरलेन कार्य होना जरूरी है। इससे भी इस बजट में मान्यता दी जाए इस तरह की मांग की है। मंत्री महाजन ने नगर की कायापलट के नाम पर दो बार वोट मांगे किंतु अभी तक विकास नही हुआ। भाजपा के चुनावी वादे फेल साबित हुए हैं। विकास के लिए बजट में प्रावधान करें इस तरह की मांग गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की है।

बीजेपी भूल गई विकास का एजेंडा 
इसी तरह विधायक एकनाथ खडसे तत्कालीन कृषि मंत्री थे उस समय जलगांव में राहुरी विद्यापीठ का विभाजन कर सिरसौली में कृषि विद्यापीठ स्थापना करने की सिफारिश तत्कालीन समिति ने की थी इसके प्रति राज्य सरकार ने अनेक वर्षों से लापरवाही बरत रखी है, जिसके चलते ज़िले के केला और कपास उत्पादक किसानों को उचित मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हो रहा है।  यदि यह कृषि विद्यापीठ जलगांव में स्थापित होता है तो ज़िले के किसानों को लाभदायक साबित होगा। किंतु भाजपा मूलभूत विकास को भूल गई है इस तरह का आरोप उन्होंने लगाया है।

बीजेपी का घोषणा पत्र मात्र जुमला साबित हुआ
पूर्व महापौर जय श्री महाजन ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा की विधायक सुरेश भोले ने कहा कि चुनाव के समय भाजपा विधायक ने घोषणा पत्र में कहा था कि 300 वर्ग फीट के आवासों का निकाय टैक्स माफ किया जाएगा। लेकिन सत्ता में आने के बावजूद उनकी पत्नी सीमा भोले महानगर निगम में महापौर होने पर भी महासभा के पटल पर शुल्क माफी का प्रस्ताव नहीं रखा गया। भाजपा की सत्ता परिवर्तन के बाद यह प्रस्ताव शिवसेना उद्धव ठाकरे ने रखा था लेकिन भाजपा ने इसे विरोध कर निरस्त कर दिया। इससे साबित होता है कि उनका चुनावी घोषणा पत्र मात्र जुमला साबित हुआ है।