मंत्री के गृह नगर जामनेर के सिविल अस्पताल की हालत खराब, हफ्तों पड़े रहते है स्वैब सैंपल

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    – नरेंद्र कुमार 

    जामनेर : ओमिक्रॉन (Omicron) के सब वायरस BF.7 (Virus BF.7) ने चीन समेत यूरोप के कुछ देशों में काफी उत्पात मचा रखा है। जिसके मद्देनजर भारत सरकार (Government of India) ने कई एहतियातन कदम उठाने शुरू कर दिए है। स्वास्थ मंत्रालय ने बैठक कर देशवासियों के लिए मार्गदर्शक सूचनाएं जारी की है। जिसके अनुसार आने वाले दिनों में देश के भीतर यात्रा करने वाले नागरिकों को RTPCR Negative Certificate पास रखना पड़ेगा। लेकिन जामनेर के सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में कलेक्ट किए स्वैब सैंपल (Swab Sample) हफ्तों तक पड़े रहने लगे है। फिलहाल मंत्री महाजन नागपुर शीतसत्र के कामकाज में अपनी संसदीय परिपक्वता और अपार बुद्धिमत्ता का लोहा मनवा रहे है। वैसे उनको यू हि मीडिया के बूते आरोग्यदूत संकटमोचक के तमगे से नवाजा नही किया है। 

    गिरीश महाजन के गृह जिले जलगांव के सभी 15 ब्लाक अस्पतालों की हालत यह है कि स्वैब ट्रैफिकिंग के लिए मौजूद वाहनों के चक्के रुके पड़े है। कोरोना प्रोटोकॉल में अगर आपको के किसी काम से सूबे के भीतर या बाहर जाना पड़ा तो आपको RTPCR Test कराना है। टेस्ट के लिए स्वैब सैंपल नजदीकी सरकारी अस्पताल में देना है। मजे की बात ये है कि स्वैब सैंपल देने के बाद इसे जिला अस्पताल भेजने के लिए अभी से लंबा इंतजार करना पड़ रहा है तो इससे समझ जाइए की आपको अपना टेस्ट रिपोर्ट कितने दिन के बाद मिलेगा। सोचिए स्वैब सैंपल देने और उसकी रिपोर्ट आने के बीच अगर आप संक्रमित होंगे जो डिटेक्ट होना बाकी है तो उसका खतरा आपके लिए और आपके संपर्क में आने वाले लोगों के लिए कितना बढ़ जाता है। 

    सिस्टम के भीतर सतर्कता का अभाव तो शुरुआत है हालात ऐसे हि रहे तो आपको स्वयम जलगांव सिविल अस्पताल जाकर स्वैब सैंपल देने और रिपोर्ट लेने जाना पड़ेगा। निजी लैब में इस टेस्ट के लिए हजार से 1500 रुपए की फीस है जो गरीब और मिडल क्लास के बस की बात नहीं है 15 लाख रुपए हर एक के खाते में आ जाते तो बात कुछ और थी। स्वैब ट्रैफिकिंग के कुप्रबंधन की ये समस्या बीते साल के अंत में भी आई थी जब कोरोना का कहर लगभग खत्म सा हो गया था। 2021 मे कोरोना के विभीषिका मे सर्वोत्तम काम करने का अनुभव रखने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी टिम जो आज विपक्ष में  बैठी है उनसे आम जनता यह मांग कर रही है कि वे सरकार को अनुशासित गतिमान स्वास्थ प्रबंधन को लेकर नीति बनाने के पर विवश करें।