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मनोज जरांगे पाटिल

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जालना/मुंबई. कार्यकर्ता मनोज जारांगे (Manoj Jarange) ने रविवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) मंगलवार तक मराठा समुदाय को आरक्षण (Maratha Reservation) देने में विफल रहती है तो वह 25 अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू करेंगे। महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जारांगे ने कहा कि आरक्षण की मांग पूरी होने तक मराठा समुदाय सांसदों और विधायकों सहित राजनीतिक नेताओं को राज्य भर के गांवों में प्रवेश नहीं करने देंगे।

भारत और चीन के बीच संघर्ष की तरह उन्होंने कहा कि आगामी विरोध (आरक्षण के लिए) ‘शांतिपूर्वक’ लड़े जा रहे युद्ध के समान है। उन्होंने मराठा समुदाय के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध करने वाले कुछ प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित एक विज्ञापन के लिये भी सरकार की आलोचना की। जारांगे ने इस साल सितंबर में इस गांव में भूख हड़ताल की थी और मराठों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग की थी। उन्होंने आरक्षण देने के लिए सरकार को 24 अक्टूबर तक 40 दिन का अल्टीमेटम देते हुए अनशन वापस ले लिया था। उन्होंने कहा, “अगर महाराष्ट्र सरकार 24 अक्टूबर तक मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर निर्णय लेने में विफल रहती है, तो मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। स्थानीय लोग और अन्य गांवों के लोग भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।”

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सभी गांव आमरण अनशन में शामिल होंगे और उन्होंने मराठों से आरक्षण की मांग को समर्थन देने के लिये ‘कैंडल मार्च’ निकालने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह शांतिपूर्वक लड़े जा रहे युद्ध जैसा है। मैं 28 अक्टूबर को नये दिशा-निर्देश घोषित करूंगा।” जारांगे ने कहा कि वह अनशन के दौरान पानी और चिकित्सा सहायता लेने से बचेंगे । उन्होंने कहा कि 25 अक्टूबर को श्रृंखलाबद्ध अनशन शुरू किया जाएगा, जो 28 अक्टूबर से पूर्ण आमरण अनशन में तब्दील हो जाएगा। उन्होंने कहा, “राज्य में हर तहसील और गांव में मराठा समुदाय कैंडल मार्च निकालेगा और इस अहिंसक प्रदर्शन में पांच करोड़ मराठी भाग लेंगे।”

उन्होंने मराठा समुदाय के सदस्यों से आत्महत्या जैसे कठोर कदम नहीं उठाने की भी अपील की। कार्यकर्ता ने राज्य सरकार पर मराठा समुदाय के भीतर आरक्षण विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह शांतिपूर्वक लड़े जा रहे युद्ध जैसा है। मैं 28 अक्टूबर को नया निर्देश दूंगा। मैं लोगों को जो दिखाऊंगा, सरकार उसे बर्दाश्त नहीं कर पायेगी।” कुछ प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन के बारे में पूछे जाने पर जारांगे ने कहा कि वह सरकार की ओर से किये जा रहे किसी भी ऐसे कार्य को अस्वीकार करते हैं। जरांगे ने कहा, “आपने हमें जो मदद दी है उसका ऑडिट करने के लिए आपसे किसने कहा था ? क्या राज्य सरकार ने आरक्षण का लाभ उठाने वाले अन्य लोगों के लिए भी इसी तरह का ऑडिट किया था।”

जारांगे ने आश्चर्य प्रकट किया कि जब मराठा समुदाय आरक्षण की मांग कर रहे हैं तो सरकार इस तरह का विवरण कैसे लेकर आई। उन्होंने कहा कि इस विज्ञापन के प्रकाशन पर जो धन खर्च हुआ है, वह भी हमारा है। जालना जिले में उनके गांव का दौरा करने की इच्छा रखने वाले राजनेताओं के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली उनकी ‘शांतिपूर्ण’ रणनीति के बारे में पूछे जाने पर, जारांगे ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच संघर्ष का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा, “सीमा पर, दोनों पक्ष एक-दूसरे को धक्का दे रहे हैं। दोनों पक्षों के पास बंदूकें हैं लेकिन वे एक-दूसरे को हाथों से धकेल रहे हैं। हम किसी भी राजनेता को अपने हाथ से नहीं छूएंगे बल्कि कोहनी का इस्तेमाल करके उन पर प्रहार करेंगे ताकि वे यहां रुकने की कोशिश न करें।” महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करेगी कि अन्य समुदायों का आरक्षण प्रभावित न हो। (एजेंसी)