
मुंबई. मुंबई (Mumbai) के आगजनी के इतिहास में गुरुवार रात एक और काला अध्याय (Black Chapter) जुड़ गया जब आग (Fire) में झुलस कर 10 मरीजों की डेड बॉडी (Dead Body) मिली है। अभी 32 मरीज लापता बताए जा रहे हैं। मृतकों में सभी की उम्र 58 वर्ष से 80 के बीच है, इस उम्र में असहाय होकर मदद मांगते-मांगते जान चली गई। भांडूप (Bhandup) के ड्रीम मॉल (Dream Mall) स्थित सनराइज अस्पताल (Sunrise Hospital) में रात 11 बज कर 59 पर आग लगने के बाद आग से बचने के लिए चारों तरफ़ चीख पुकार मची थी। कोरोना से संक्रमित मरीजों को पहले से ही सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। आग और धुएं से उनकी हालत और गंभीर होती चली गई।
इससे पहले भंडारा जिला अस्पताल में आग लगने से 10 नवजातों की मौत हो गई थी। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा था कि मुंबई के सभी अस्पताल सुरक्षित हैं। नवंबर 2019 में परेल के केईएम अस्पताल में ईसीजी मशीन में आग लगने से एक दो महीने के बच्चे प्रिंस का हाथ जल गया था। बाद में उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। जिसके बाद मुंबई के सभी अस्पताल का फायर ऑडिट किया गया। उस समय काकानी ने मुंबई के अस्पतालों को सुरक्षित बताया था। जब अस्पताल सुरक्षित थे, तो इतना दर्दनाक हादसा कैसे हो गया ? अब यह सवाल खड़ा किया जा रहा है।
कई अस्पतालों में मॉकड्रिल किया गया
23 जनवरी को बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने मुंबई में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए मुंबई के नायर और सायन अस्पताल में मॉक ड्रिल का आदेश दिया था। जिसके बाद बीएमसी के कई अस्पतालों में मॉकड्रिल किया गया। उसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। 4 मार्च को ही मुंबई के अस्पतालों की फायर स्ट्रक्चर ऑडिट रिपोर्ट आई थी जिसमें खुलासा हुआ था कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के 700 अस्पतालों में फायर सेफ्टी का इंतजाम नहीं है।
46 को बचाया जा सका
सनराइज अस्पताल में आग लगने के बाद मरीज इधर उधर बचाव के लिए भाग रहे थे। तस्वीरें बता रही हैं कि कैसे आग के बीच मरीज खिड़की के पास खड़े होकर मदद की गुहार लगा रहे हैं। यह ऐसी तस्वीरे है जो किसी का कलेजा कंपा दे। बीएमसी ने इस हादसे में प्राथमिक तौर पर 10 मरीजों के मरने की पुष्टि की है। इस मॉल में बेसमेंट फ्लोर भी है। अभी जो जानकारी मिली है उसके अनुसार फायर एक 100 से 200 वर्ग मीटर की दुकान में लगी थी। डॉक्टर मोहोरकर ने बताया कि सनराइज अस्पताल में कुल 78 मरीज थे। 46 को बचाया जा सका।
कहां कितने मरीज भेजे गए
- मलाड जंबो कोविड सेंटर में 30 मरीज
- भांडूप फोर्टिस अस्पताल में 4 मरीज
- ठाणे विराज अस्पताल में 2 मरीज
- बीकेसी जंबो कोविड सेंटर 1 मरीज
- घाटकोपर गोदरेज अस्पताल 1 मरीज
- टैंक रोड़ सारथी अस्पताल 1 मरीज
- अग्रवाल अस्पताल 5 मरीज
- 2 मरीज घर गए हैं।
मृतकों के नाम
- निसार जावेदचांद (74)
- मुणगेकर (80)
- गोविंद लाल दास (80)
- मंजुला भाटिया (65)
- अंबाजी नारायण पाटिल (65)
- सुनंदा अंबाजी पाटिल (58)
- सुधीर सखाराम लाड (66)
- 3 मृतक अज्ञात हैं जिनकी पहचान नहीं हो सकी है।